चुनाव आयोग तय समय में टीएमसी की शिकायतों को सुनने में पूरी तरह विफल: हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को भाजपा को अगले आदेश तक टीएमसी के खिलाफ किसी भी प्रकार के अपमानजनक विज्ञापन प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है। भाजपा के आपत्तिजनक विज्ञापनों को लेकर टीएमसी ने 4 मई को ही केंद्रीय चुनाव आयोग से शिकायत की थी। टीएमसी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर बताया कि भाजपा ने बंगाल के कुछ क्षेत्रीय समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया है, जो “अपमानजनक, झूठे थे और मतदाताओं से धार्मिक आधार पर वोट करने की अपील करते थे।”
चुनाव आयोग कानों में तेल डाले बैठा रहा। जिस तरह उसने पीएम मोदी के साम्प्रदायिक भाषणों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उसी तरह इस मामले में भी किया गया। चुनाव आयोग ने जब देखा कि मामला अदालत में चला गया है और कोर्ट एक्शन के लिए कह सकता है तो आयोग शनिवार 18 मई को सक्रिय हुआ। आयोग ने शनिवार को पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को उनकी पार्टी द्वारा कथित तौर पर टीएमसी को निशाना बनाने वाले विज्ञापनों पर दो अलग-अलग कारण बताओ नोटिस जारी किए। आयोग ने बीजेपी नेता को मंगलवार शाम 5 बजे तक अपना जवाब देने को कहा है।
हाईकोर्ट ने पार्टी पर व्यक्तिगत हमले करने वाले भाजपा के विज्ञापनों के खिलाफ टीएमसी द्वारा दायर शिकायतों को सुनने में ‘घोर विफल’ होने के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को भी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा, चुनाव आयोग तय समय में टीएमसी की शिकायतों को सुनने में पूरी तरह विफल रही है। यह अदालत आश्चर्यचकित है कि चुनाव खत्म होने के बाद शिकायतों का समाधान तय समय में करने में भारत का चुनाव आयोग विफल हुआ है। यह अदालत निषेधाज्ञा आदेश (स्टे) पारित करने के लिए बाध्य है।
कोर्ट ने कहा कि ‘साइलेंस पीरियड‘ (चुनाव से एक दिन पहले और मतदान के दिन) के दौरान बीजेपी के विज्ञापन आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) और टीएमसी के अधिकारों और नागरिकों के निष्पक्ष चुनाव के अधिकार का भी उल्लंघन थे। अदालत ने आदेश जारी करते हुए कहा-
टीएमसी के खिलाफ लगाए गए आरोप और प्रकाशन पूरी तरह से अपमानजनक हैं और निश्चित रूप से इसका उद्देश्य प्रतिद्वंद्वियों का अपमान करना और व्यक्तिगत हमले करना है। इसलिए, उक्त विज्ञापन सीधे तौर पर एमसीसी के विरोधाभासी होने के साथ-साथ याचिकाकर्ता और भारत के सभी नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन है। स्वतंत्र, निष्पक्ष और बेदाग चुनाव प्रक्रिया के लिए, भाजपा को अगले आदेश तक ऐसे विज्ञापन प्रकाशित करने से रोका जाना चाहिए।
लोकसभा चुनाव 2024 में केंद्रीय चुनाव आयोग की खासी किरकिरी हो रही है। वो पीएम मोदी सहित तमाम भाजपा नेताओं के साम्प्रदायिक भाषणों को रोक नहीं पाया। देश-विदेश के मीडिया ने इस बारे में खुलकर रिपोर्ट छापी। ईवीएम को लेकर भी चुनाव आयोग विवादों में घिरा हुआ है। आयोग इस जिद पर पड़ा है कि ईवीएम बिल्कुल सही है और गड़बड़ी नहीं हो सकती। जबकि जनता ईवीएम को लेकर प्रदर्शन कर रही है, तमाम चिन्ताएं जता रही है।
अभी कल ही यूपी के एटा में एक युवक को ईवीएम के जरिए भाजपा को 8 वोट फर्जी तरीके से दिलाने का वीडियो वायरल हुआ। वो युवक एक भाजपा नेता का बेटा है। चुनाव आयोग ने उस वीडियो का संज्ञान रविवार शाम को लिया और कार्रवाई का निर्देश यूपी के अधिकारियों को जारी किया। उस युवक को अब गिरफ्तार कर लिया गया है। इस तरह चुनाव आयोग पाक साफ होने की दलीलें देता रहता है लेकिन उसकी असलियत जल्द सामने आ जाती है।


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