रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में IT मंत्रालय में हुआ बड़ा घोटाला, कांग्रेस ने कहा केवल पद से हटाने से नहीं चलेगा काम
कांग्रेस ने कैग की एक अंतरिम रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि अनियमितता के कारण केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का भारत नेट कार्यक्रम तेज़ी से आगे नहीं बढ़ सका, मुख्य विपक्षी पार्टी ने इस मामले में पूर्व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद की भूमिका की ओर इशारा करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की, सरकार की तरफ़ से कांग्रेस के आरोप पर फ़िलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय पर कैग की रिपोर्ट भारी अनियमितताओं का खुलासा करती है, क्या दूरसंचार विभाग और भारत सरकार ने बिना निविदा के ठेके दिए? क्या बिना किसी औपचारिक करार के करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा सकता है? इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है? क्या सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री जवाब देंगे?
CAG Report on Electronics & IT Ministry exposes huge irregularities !
• Can DOT, GOI award contracts without tender?
• Can payments of crores be made without even a formal contract?
• Who is responsible for Bharatnet’s failure during pandemic?
• Will IT Min answer? https://t.co/XodZN78Ips
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) July 17, 2021
बताया गया है कि सीएजी की रिपोर्ट में बिहार के एक मामले का ज़िक्र किया गया है, जहां प्राइवेट कंपनी को बिना किसी आधिकारिक समझौते और टेंडर जारी किए बिना काम सौंप दिया गया था, इस का ज़िक्र करते हुए पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि कैग की एक अंतरिम रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जुलाई, 2019 से दिसंबर, 2020 तक इस मंत्रालय के तहत करोड़ों रुपये फ़ाइबर केबल के रखरखाव और परिचालन के लिए कॉमन सर्विस सेंटर को दिए गए।
उनके मुताबिक़ यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फ़ंड में सभी निजी कंपनियों को योगदान देना होता है, कैग कहता है कि यूएसओएफ सीएससी पर भारत नेट के काम में विलंब के लिए जुर्माना नहीं लगा सका, सेवा से जुड़े करार के अभाव और गड़बड़ी को दूर करने के लिए समयसीमा तय नहीं होने के चलते सीएससी के लिए कोई प्रतिरोध नहीं था।
उन्होंने आरोप लगाया कि दूरसंचार विभाग सीएससी-एसपीवी और अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई सीएससी वाई-फाई चौपाल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से निजी क्षेत्र की कंपनियों को परोक्ष रूप से ठेके दे रहा था, खेड़ा ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि एक निजी संस्था तो न केवल सरकारी परिसरों से काम कर रही थी, बल्कि अशोक स्तंभ का इस्तेमाल भी कर रही थी, जिससे यह प्रभाव जाए, जैसे वह कोई सरकारी कंपनी है।
उन्होंने दावा किया कि इस माध्यम से करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया, खेड़ा ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि क्या केवल एक भाजपा और सीएसी-एसपीवी के बीच क्या संबंध है? आख़िर कैसे कोई निजी कंपनी अशोक स्तंभ का इस्तेमाल कर रही थी और अभी कितनी कंपनियां ऐसा कर रही हैं? उन्होंने कहा कि टेलिकॉम मंत्रालय में चल रहे इस तरह के घोटालों की उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।