अमेरिका आज भी ईरान में तख़्ता पलट करवाना चाहता है: ख़ामेनेई
सालों के संघर्ष के बाद ईरान और सऊदी अरब के बीच सुधरते रिश्तों को देखते हुए ईरान में कई लोगों को उम्मीद है कि अमेरिका के साथ भी ईरान के रिश्ते सुधर सकते हैं, लेकिन ईरानी सरकार इससे सहमत नहीं है। इसका मुख्य कारण यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने जहाजों को ईरान द्वारा जब्त करने का आरोप लगाकर फारस की खाड़ी में अपनी सेना बढ़ा दी है।
इस मुद्दे पर ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने कहा कि अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने ईरान में 1953 के तख़्ता पलट का जिक्र करते हुए कहा कि ईरान की सरकार को अमेरिका से खतरा अभी भी बना हुआ है, चाहे आर्थिक प्रतिबंधों के रूप में हो या फिर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के रूप में।
इंक़िलाब उर्दू न्यूज़ पोर्टल पर छपी ख़बर के अनुसार, उन्होंने हाल ही में अर्धसैनिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स को बताया कि वाशिंगटन उसी तरह के तख्तापलट के जरिए देश की धार्मिक सरकार को उखाड़ फेंकने की योजना बना रहा है जैसा उसने 1953 में सेना के जरिए किया था।
ईरानी अधिकारियों का कहना है कि जिन लोगों को ऐसा विचार है उन्हें 1953 के तख्तापलट को भी ध्यान में रखना चाहिए। जब अमेरिकी सीआईए ने ईरान के तत्कालीन प्रधान मंत्री मोहम्मद मुसद्दक़ के खिलाफ तख्तापलट किया और उन्हें उखाड़ फेंका। इस पृष्ठभूमि में अमेरिका पर कैसे भरोसा किया जा सकता है?
1953 में जब मोहम्मद मोसद्दक़ ईरान के प्रधानमंत्री थे, तब सेना ने उनके ख़िलाफ़ विद्रोह कर उनकी सरकार ख़त्म कर दी थी। एपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस तख़्ता पलट का आयोजन सीआईए ने किया था, क्योंकि अमेरिका को चिंता थी कि मोसद्दक़ के तत्कालीन सोवियत संघ की ओर संभावित झुकाव के कारण ईरान से कच्चा तेल मिलना मुश्किल हो सकता है।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मोहम्मद मुसद्दक़ की कब्र तेहरान के पास एक गांव में है, जहां ईरानी अधिकारियों को जाने की इजाजत नहीं है। इस तख्तापलट ने मुसद्दक़ सरकार को खत्म करके रजा शाह पहलवी की सरकार को मजबूत किया था, लेकिन इसने 1979 की इस्लामी क्रांति की लौ भी जलाई थी। जिसके परिणामस्वरूप आयतुल्लाह खुमैनी की क्रांति हुई और उसके परिणामस्वरूप स्थापित इस्लामी सरकार का सिलसिला आज भी जारी है।
इस बीच, ईरानी गार्ड्स के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी ने कहा कि वह अमेरिकी सेना को क्षेत्र से बाहर निकाल देंगे। अमेरिकी सैनिक होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरने वाले जहाजों की रक्षा करेंगे। यह वह जलमार्ग है जिसके माध्यम से दुनिया का 20% तेल विभिन्न देशों तक पहुंचता है।