अमेरिका, अमीरों के लिए स्वर्ग, लेकिन मजदूरों के लिए नर्क है: बर्नी सैंडर्स

अमेरिका, अमीरों के लिए स्वर्ग, लेकिन मजदूरों के लिए नर्क है: बर्नी सैंडर्स

अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने देश में बढ़ती आर्थिक असमानता पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार अमीरों ने इतनी शानदार और सुनहरी अवधि देखी है, लेकिन इसके विपरीत, अमेरिका के मेहनतकश परिवार, खासतौर पर वर्मोंट, नेब्रास्का और अन्य राज्यों में, अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

सैंडर्स ने अमेरिका में धन के असमान वितरण पर कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि एलन मस्क, जेफ बेजोस और मार्क जुकरबर्ग जैसे अरबपतियों की संपत्ति इतनी अधिक हो चुकी है कि वे देश की आधी आबादी (लगभग 17 करोड़ लोगों) से अधिक संपत्ति के मालिक हैं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि ये तीनों उद्योगपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में उनके पीछे खड़े थे, जिससे यह साफ झलकता है कि सत्ता और पूंजीपति वर्ग के बीच कितनी गहरी सांठगांठ है।

सैंडर्स ने इस गंभीर असमानता को लेकर सरकार और नीति-निर्माताओं से ठोस कदम उठाने की मांग की है, ताकि आम अमेरिकी नागरिकों को आर्थिक राहत मिल सके और वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।

उन्होंने इस आर्थिक संकट के कई पहलुओं को उजागर करते हुए बताया कि पूरे अमेरिका में आवास और स्वास्थ्य सेवाओं का संकट गहराता जा रहा है। लोगों के लिए घर खरीदना और किराया चुकाना मुश्किल होता जा रहा है। अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत ने आम जनता की परेशानियों को और बढ़ा दिया है।

सुपर मार्केट में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। इसी तरह, बच्चों की देखभाल और विश्वविद्यालय की पढ़ाई का खर्च आम परिवारों की क्षमता से बाहर हो चुका है। खासतौर पर युवा पीढ़ी भारी कर्ज में डूबी हुई है, क्योंकि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें कर्ज लेना मजबूरी बन चुकी है।

सीनेटर सैंडर्स ने अमेरिका के श्रमिक वर्ग की स्थिति पर विशेष ध्यान देते हुए कहा कि आज मजदूर अपने रोजमर्रा के बिल भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कई लोग दो-दो नौकरियां करने के बावजूद भी आर्थिक रूप से सुरक्षित नहीं हैं। बुजुर्गों के लिए यह समय और भी कठिन हो गया है। वे यह सोचकर चिंतित हैं कि कैसे थोड़ा-बहुत पैसा बचाएं, जिससे वे अपनी बुढ़ापे की जिंदगी थोड़ी इज्जत के साथ बिता सकें।

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