हज का ख़तीब बना ज़ायोनी सऊदी मुफ़्ती, मुस्लिम जगत में कड़ा विरोध

हज का ख़तीब बना ज़ायोनी सऊदी मुफ़्ती, मुस्लिम जगत में कड़ा विरोध

हज के दौरान तक़रीर और ख़ुत्बे के लिए सऊदी अरब सरकार ने जिस मुफ़्ती को चुना है उसके नाम पर दुनिया भर में सोशल मीडिया में हंगामा मचा हुआ है. मुस्लिम जगत में कहा जा रहा है कि इसे मिंबर से नीचे खींच लो. कहा जा रहा है कि इस्राईल नवाज़ यह मुफ़्ती हज के सबसे अहम् अरकान की एंकरिंग करेगा.

इस हफ्ते के शुरू में ही आले सऊद की ओर से कहा गया था कि इस साल अरफ़ा में होने वाले ख़ुत्बे मोहम्मद अल ईसा देगा. इस साल हज 6 जुलाई से शुरू हो गया है.
मोहम्मद ईसा सऊदी अरब में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ मुस्लिम स्कॉलर्स का चीफ है. वह तथाकथित होलोकॉस्ट में मारे गए यहूदियों के प्रति सुहानुभूति रखता है और उनके लिए मग़फ़ेरत की दुआएं कर चुका है. वह होलोकॉस्ट का इंकार करने वाले लोगों की आलोचा भी करता है. वह सऊदी अरब में अमेरिकी यहूदियों के गिरोह की मेज़बानी भी करता रहा है.

हज के ख़तीब के रूप में उसके चुने जाने का मुस्लिम दुनिया में कड़ा विरोध हो रहा है. लोग उसे ज़ायोनी बता रहे हैं. वह सऊदी अरब इस्राईल के रिश्तों को सार्वजनिक करने का कट्टर हामी है और इस का खुल कर समर्थन करता है.

ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है कि “ईसा को मिंबर से नीच खींच लो” साथ ही (Auschwitz )ऑस्च्वित्ज़ कैंप में मारे गए यहूदियों के लिए उसके नमाज़ पढ़ते हुए फोटो भी शेयर किये जा रहे हैं.

एक ट्वीटर यूजर ने लिखा मोहम्मद ईसा जैसे ज़ायोनी के पीछे नमाज़ पढ़ना शैतान के पीछे नमाज़ पढ़ने के बराबर है. इलाक़े के बहुत से लोग यहूदी और ज़ायोनिज़्म के बीच का फ़र्क़ नहीं जानते. आले सऊद तो हैं ही इस्लाम का लिबास पहने हुए शैतान, बाक़ी आलमे इस्लाम को क्या हो गया?

 

होलोकॉस्ट में मारे गए यहूदियों के लिए दुआ करने वाले मुफ़्ती को अरफ़ा का ख़तीब बनाये जाने को आले सऊद का इनाम बताया जा रहा है.

सऊदी अरब के शासक परिवार आले सऊद और इस्राईल के संबबंध जग जाहिर हैं. बाइडन की सऊदी यात्रा जैसे जैसे क़रीब आ रही है आले सऊद इस्राईल के लिए अपने इश्क़ को ज़ाहिर करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ रहे हैं.

आले सऊद ने अरफ़ा के दिन इस मस्जिद की ज़िम्मेदारी मुफ़्ती मोहम्मद ईसा को दी है जो तथाकथित होलोकॉस्ट की याद में होने वाले प्रोग्राम में यहूदियों के लिए मग़फ़ेरत की दुआ करता रहा है. कौंसिल ऑफ़ ग्रेट स्कॉलर्स ऑफ़ द इस्लामिक वर्ल्ड एसोसिएशन का सदस्य और सऊदी अरब की एक मस्जिद का पेश इमाम शैख़ मोहम्मद बिन अब्दुल करीम ईसा अपनी यहूदी दोस्ती के लिए पहले ही काफी चर्चा में रह चुका है जिसका इनाम उसे सऊदी सरकार की ओर से समय समय पर मिलता भी रहा है.

बता दें कि शैख़ मोहम्मद बिन अब्दुल करीम ईसा पिछले साल होलोकॉस्ट की याद में आयोजित होने वाले प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए पोलैंड भी गया. उसकी पोलैंड यात्रा और मारे गए यहूदी लोगों के लिए दुआ करने पर इस्राईल विदेश मंत्रालय के ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा गया था कि यह असल इस्लाम.

बता दें कि 6 जुलाई के बाद से अब तक 62 हज़ार से अधिक लोगों ने ट्वीट करते हुए मोहम्मद ईसा को मिंबर से नीच खींचे जाने की अपील की है. जबकि इक्का दुक्का ट्वीट उसके समर्थन में भी हुए हैं जिसकी संख्या न होने के बराबर है.

सऊदी सरकार के समर्थक इस निर्णय का स्वागत भी कर रहे हैं. तुर्की अल हम्द ने कहा कि यह सऊदी में नए बदलाव का संकेत है. यहाँ बदलाव से ऊँची कोई आवाज़ नहीं है. बदला हुआ भविष्य नज़दीक है.

सऊदी अरब कुछ दूसरे अरब देशों की तरह ही इस्राईल से अपने रिश्तों को ज़ाहिर करने की योजना में लगा हुआ है. हाल ही में इस्राईली मीडिया ने खबर दी थी कि इस्राईल के वरिष्ठ अधिकारियोंको सऊदी अरब की ओर से रियाज़ यात्रा का आधिकारिक निमंत्रण मिल सकता है यह काम बाइडन की सऊदी यात्रा के साथ या उसके कुछ समय बाद हो सकता है.

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