ग़ाज़ा नरसंहार में अपने भागीदार गैलेंट को नेतन्याहू ने क्यों हटाया?
ग़ाज़ा नरसंहार के बीच इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने रक्षामंत्री योआव गैलेंट को पद से हटाने का निर्णय क्यों लिया? यह सवाल कई राजनीतिक विश्लेषकों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में गूंज रहा है। नेतन्याहू के इस कदम ने इज़रायल की राजनीति और ग़ाज़ा संकट के संदर्भ में कई अटकलों को जन्म दिया है। आइए, इस फैसले के पीछे के कारणों और इसके संभावित परिणामों पर एक नज़र डालें।
योआव गैलेंट को पद से हटाने के 5 प्रमुख कारण:
1- गैलेंट की आलोचना और नेतन्याहू के साथ मतभेद
योआव गैलेंट ने हाल ही में ग़ाज़ा पर लगातार हो रहे हवाई हमलों और अन्य सैन्य कार्रवाइयों की सार्वजनिक रूप से नेतन्याहू की आलोचना की थी। उन्होंने बार-बार चेताया था कि इस तरह के हमलों से इज़रायल की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और वैश्विक समुदाय में उनकी छवि धूमिल हो सकती है। इसके अलावा, गैलेंट ने इज़रायल की नीतियों को लेकर कुछ ऐसे बयान दिए थे जो नेतन्याहू की नीतियों से मेल नहीं खाते थे। माना जा रहा है कि गैलेंट की यही आलोचना नेतन्याहू के इस कदम का एक मुख्य कारण बनी।
2- राजनीतिक दबाव और गाजा नरसंहार का प्रभाव
ग़ाज़ा में इज़रायल की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र और कई अन्य देशों ने इसे एक मानवीय संकट करार दिया है। नेतन्याहू पर राजनीतिक दबाव बढ़ता जा रहा था कि वह इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएं। गैलेंट को हटाने का निर्णय इस दबाव के बीच लिया गया, जो संभवतः नेतन्याहू के इस संदेश को दर्शाता है कि वह अपनी कैबिनेट में किसी भी असहमति को जगह नहीं देना चाहते।
3- नेतन्याहू गैलेंट को अपना प्रतिद्वंद्वी मानते थे
नेतन्याहू, गैलेंट को अपना प्रतिद्वंद्वी मानते थे क्योंकि वह लिकुड पार्टी में दूसरे स्थान पर थे; गैलेंट हमेशा नेतन्याहू को हटाकर उनकी जगह लेने की इच्छा रखते थे। यहां तक कि नेतन्याहू की न्यायिक सुधारों के खिलाफ विरोध के चरम के समय, गैलेंट ने इन सुधारों की खुलकर आलोचना की थी और उन्हें हटाया गया था, लेकिन जनदबाव के कारण उन्हें वापस लाया गया।
4- नेतन्याहू की कूटनीति और शक्ति का प्रदर्शन
नेतन्याहू के इस फैसले को उनकी कूटनीतिक शक्ति के प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा सकता है। इजरायल की राजनीति में नेतन्याहू एक सशक्त नेता के रूप में माने जाते हैं और उन्हें किसी भी प्रकार के आंतरिक विद्रोह को दबाने के लिए जाना जाता है। गैलेंट की सार्वजनिक असहमति और उनकी आलोचनात्मक टिप्पणियों को नेतन्याहू ने एक खतरे के रूप में देखा। इसे एक संकेत के रूप में भी देखा जा सकता है कि जो कोई भी नेतन्याहू के फैसलों पर सवाल उठाएगा, उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
5-फिलिस्तीनी प्रतिरोध की सफलता का भय
गैलेंट को हटाना दर्शाता है कि फिलिस्तीनी मुजाहिदीन आंदोलन और अन्य प्रतिरोध समूहों का दबाव इज़रायली अधिकारियों को अंततः पराजित कर रहा है।विशेषज्ञों का मन्ना है कि, यह केवल एक शुरुआत है; गैलेंट जैसे अपराधियों की बर्खास्तगी से यह संघर्ष समाप्त नहीं होगा, बल्कि प्रतिरोध में और मजबूती आएगी। फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों ने भी गैलेंट को एक अपराधी करार दिया है और उसकी बर्खास्तगी को एक प्रतीकात्मक जीत के रूप में देखा है।
फिलिस्तीनी मुजाहिदीन आंदोलन ने योआव गैलेंट की इज़रायली रक्षा मंत्रालय से बर्खास्तगी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गैलेंट एक अपराधी था, जिसकी विदाई एक संकेत है, लेकिन इसके बावजूद प्रतिरोध बना रहेगा। आंदोलन के अनुसार, गैलेंट की बर्खास्तगी उस कलंक और हार को मिटा नहीं पाएगी, जो उसके कार्यकाल से जुड़ी रही है। गैलेंट को इज़रायली सेना के नेतृत्व में अपने समय के दौरान फिलिस्तीनी और लेबनानी निर्दोष नागरिकों की हत्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसमें वह सीधे तौर पर नेतन्याहू और अन्य इज़रायली अधिकारियों के साथ शामिल था।
भविष्य में संभावित परिणाम
गैलेंट को पद से हटाने का निर्णय इज़रायल के अंदर और बाहर दोनों जगह कई सवाल खड़े कर रहा है। यह कदम ग़ाज़ा नरसंहार पर नेतन्याहू की सख्त नीति का प्रतीक है। हालांकि, इस निर्णय का इज़रायल की आंतरिक सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता पर क्या असर होगा, यह देखना अभी बाकी है। साथ ही, इससे इज़रायल की विदेश नीति पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इज़रायल के इस कदम को कैसे देखा जाता है, यह भी महत्वपूर्ण होगा।
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