किसी भी प्रकार की हठधर्मी का कड़ा जवाब देंगे: ईरान
ईरानी विदेश मंत्रालय में मानवाधिकार और महिला मामलों की निदेशक मरज़िया अफ़ख़म, ने आज (शनिवार) 6 बहमन को यूरोपीय संसद द्वारा हाल ही में पारित प्रस्ताव को हस्तक्षेपकारी और पक्षपाती दृष्टिकोण का प्रतीक बताया। इस प्रस्ताव में ईरान में मानवाधिकार और महिलाओं की स्थिति को लेकर झूठे आरोप लगाए गए हैं, जिसे अफ़ख़म ने कानूनी वैधता से रहित बताया। यूरोपीय संसद ने 23 जनवरी को पारित अपने इस प्रस्ताव में 10 बिंदुओं के तहत ईरान के मानवाधिकारों की स्थिति पर आधारहीन आरोप लगाए हैं।
ईरान की न्यायिक प्रक्रियाओं में विदेशी हस्तक्षेप अस्वीकार्य
अफ़ख़म ने यूरोपीय संसद के गैर-जिम्मेदाराना प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि ईरान की न्यायपालिका स्वतंत्र और पेशेवर है, और हमेशा कानून आधारित और निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत काम करती है। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान, विदेशी हस्तक्षेप को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ मानता है और इसे अस्वीकार करता है।
उन्होंने यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में ईरान की आधिकारिक सैन्य संस्था, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के खिलाफ की गई अनुचित टिप्पणियों की भी कड़ी निंदा की। अफ़ख़म ने कहा कि IRGC एक कानूनी और जनसमर्थित संस्था है, जिसने ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा, सद्दाम शासन के आक्रमण और क्षेत्रीय आतंकवाद से देश की रक्षा में अहम भूमिका निभाई है। इस संस्था के खिलाफ किसी भी प्रकार की धृष्टता का ईरान सख्त जवाब देगा।
यूरोपीय संसद ने इस प्रस्ताव में यूरोपीय परिषद से IRGC को आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल करने की मांग की है।
यूरोपीय संसद अपनी पिछली गलतियों से सबक लें
अफ़ख़म ने यूरोपीय संसद के हस्तक्षेपकारी दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए कहा कि संसद को अपनी पिछली गलतियों से सीख लेनी चाहिए और ऐसे समूहों व आतंकवादी तत्वों का समर्थन करना बंद करना चाहिए, जो हिंसा और मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ावा देते हैं। इसके बजाय, उन्हें अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्वों का सम्मान करना चाहिए और शांति, स्थिरता व मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए।
फार्स समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय संघ का यह हस्तक्षेपकारी रवैया नया नहीं है। इससे पहले भी, 8 अज़र को यूरोपीय संसद ने ईरान में मानवाधिकार और महिलाओं की स्थिति पर एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें IRGC को आतंकवादी संगठनों की सूची में डालने की मांग की गई थी।
उस समय भी अफ़ख़म ने इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए इसे यूरोपीय संसद का हस्तक्षेपकारी और राजनीतिक कदम बताया था। उन्होंने कहा था कि ईरान में सामाजिक परिवर्तनों को गलत तरीके से पेश करने का यह प्रयास गलत और दोहराव वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय संसद अपनी साख बनाए रखने के लिए निर्दोष फिलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों के नरसंहार की निंदा करने और इज़रायली शासन के नेताओं को सजा दिलाने की मांग को बढ़ावा दे सकती है।