यमन को नहीं, इज़रायल को आतंकवाद की सूची में शामिल करे अमेरिका: हिज़्बुल्लाह
हिज़्बुल्लाह ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए अमेरिका द्वारा यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन को तथाकथित “आतंकवाद” की सूची में डालने के फैसले की कड़ी निंदा की। हिज़्बुल्लाह ने इसे अन्यायपूर्ण और यमन के निर्दोष लोगों पर एक सीधा हमला करार दिया। बयान में कहा गया कि यमन के लोग, जो पहले ही अमेरिका की नाकेबंदी, आतंकवाद और लगातार हमलों का सामना कर रहे हैं, इस प्रकार के फैसलों से और अधिक कठिनाइयों का सामना करेंगे।
हिज़्बुल्लाह ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका की विभिन्न सरकारों ने हमारे मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ आतंकवादी नीतियां अपनाई हैं। इन नीतियों का मुख्य उद्देश्य इज़रायल के शासन को समर्थन देना है। बयान में कहा गया कि इज़रायल का शासन, जो फिलिस्तीन और लेबनान में बार-बार हमले करता है और निर्दोष लोगों का कत्ल करता है, वास्तव में आतंकवाद का प्रतीक है और इसे आतंकवाद की सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
हिज़्बुल्लाह ने कहा कि यह फैसला, जो इज़रायल के पतनशील शासन को बचाने के लिए लिया गया है, यमन के साहसी और संघर्षशील लोगों को कमजोर नहीं करेगा। यमन के लोग पहले की तरह फिलिस्तीन के लोगों का समर्थन करते रहेंगे और उनके न्यायपूर्ण अधिकारों की लड़ाई में उनके साथ खड़े रहेंगे। यह फैसला यमन के लोगों के साहस, दृढ़ संकल्प और अमेरिका-इज़रायल की नीतियों का विरोध करने की इच्छाशक्ति को प्रभावित नहीं करेगा।
हिज़्बुल्लाह ने अंसारुल्लाह आंदोलन की शानदार भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह आंदोलन ग़ाज़ा और फिलिस्तीन के लोगों के समर्थन में अग्रणी रहा है। अंसारुल्लाह ने न केवल फिलिस्तीनी प्रतिरोध को मजबूती प्रदान की है, बल्कि इज़रायली शासन के खिलाफ जीत में एक महत्वपूर्ण भागीदार भी रहा है।
अंत में, हिज़्बुल्लाहने इस बात का विश्वास जताया कि यमन के लोग अपने प्रतिरोध के मार्ग पर अडिग रहेंगे। वे न केवल अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे, बल्कि इस्लामी समुदाय के साझा उद्देश्यों और न्यायपूर्ण संघर्षों में भी अपनी भूमिका निभाते रहेंगे।