तालिबान, दोहा समझौते के साथ समाप्त हुआ अफगानिस्तान पर अमेरिकी कब्जा सत्ताधारी तालिबान सरकार ने दोहा समझौते पर हस्ताक्षर की दूसरी वर्षगांठ पर दुनिया के साथ अच्छे संबंधों का आह्वान किया।
तालिबान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच दोहा समझौते पर 31 मार्च, 2017 को कतर की राजधानी दोहा में हस्ताक्षर किए गए थे। तालिबान ने एक बयान में कहा कि उस दिन संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इस समझौते के साथ ही तालिबान और काबुल सरकार के बीच भी बातचीत की उम्मीद जगी थी जिससे 18 साल से चल रहे संघर्ष के भी खत्म होने के आसार थे। दोहा के एक आलीशान होटल में तालिबान के वार्ताकार मुल्ला बिरादर ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे वहीं दूसरी ओर से अमेरिका के वार्ताकार ज़लमय खलीलजाद ने हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद दोनों ने हाथ मिलाए। इस दौरान होटल के कॉन्फ्रेंस कक्ष में लोगों ने ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाए थे।
यह समझौता अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ की देख रेख में हुआ था। उन्होंने अलकायदा से संबंध समाप्त करने की प्रतिबद्धता भी तालिबान को याद दिलाई। समझौता होने से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान के लोगों को नए भविष्य के लिए बदलाव को अपनाने की अपील की थी।
तालिबान ने कहा कि तथ्य यह है कि पिछले सौ वर्षों में अफगानों ने लगातार अतिगृहित ताकतों को हराया है और उन्हें अपने देश से निष्कासित कर दिया है और अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की है। अतिगृहित देशों के लिए अफगानों के साथ दुश्मनी और दुश्मनी का रास्ता छोड़ना आवश्यक है । तालिबान ने दुनिया से काबुल के साथ आपसी सम्मान में शामिल होने का आह्वान किया।
काबुल स्थित सरकार ने कहा है कि अफगान लोग शांति और सुरक्षा चाहते हैं और दुनिया को उनका हाथ थाम लेना चाहिए और अवसर पैदा करने में मदद करनी चाहिए। तालिबान ने कहा कि उनकी स्थिति और नीति के आधार पर उनका किसी अन्य देश को नुकसान पहुंचाने या धमकी देने का कोई इरादा नहीं है और अन्य देशों से सभी संभावित चुनौतियों से बचने के लिए अफगानों के साथ अच्छे संबंधों के द्वार खोलने का भी आह्वान किया।