आईएसआईएस के खिलाफ इराक सेना की कोई मदद नहीं कर रहा है अमेरिका

आईएसआईएस के खिलाफ इराक सेना की कोई मदद नहीं कर रहा है अमेरिका अमेरिका के तमाम झूठे दावों के विपरीत इराक के एक वरिष्ठ राजनेता ने कहा है कि अमेरिका इराक सेना की कोई मदद नहीं कर रहा है।

आईएसआईएस की गतिविधियों एवं उसके अभियान को लेकर इराक में उपस्थित अमेरिकी सेना इराकी बलों को ना तो कोई जानकारी उपलब्ध करा रही है और ना ही इराक सेना की कोई मदद कर रही है। इराक के प्रभावशाली राजनीतिक गठबंधन अलफतह के वरिष्ठ सदस्य एवं सांसद जब्बार अलमामूरी ने कहा है कि इराक में उपस्थित अमेरिकी सेना के पास सभी अत्याधुनिक सैन्य संसाधन मौजूद हैं लेकिन इन सबके बावजूद भी अमेरिकी सेना आतंकी संगठन आईएसआईएस की गतिविधियों एवं उसकी योजनाओं को लेकर इराकी बल्लों को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा रही है।

उन्होंने कहा कि इराक पर नजर रखने के लिए अमेरिकी सेना 5 से लेकर 7 उपग्रह का उपयोग कर रही है जो आईएसआईएस की सभी गतिविधियों को जानने में सक्षम है, लेकिन अमेरिकी सेना अपने दावों के विपरीत इराकी बलों को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा रही है। अमेरिका इराक की सेना का सहयोग करने के झूठे दावे कर रहा है।

जब्बार मामूरी ने कहा कि इराक एयर फोर्स आईएसआईएस के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए इराक़ी बलों विशेषकर हश्दुश शअबी की खुफिया सेवा पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि आईएसआईएस की ओर से हो रहे हमले और अंतिम समय तक उनके लक्ष्यों का गुप्त रहना इस बात का स्पष्ट प्रतीक है कि आतंकियों को कुछ आंतरिक एवं बाहरी स्रोतों से जानकारियां मिल रही हैं।

जब्बार ने कहा कि इराक से आईएसआईएस का खात्मा तभी संभव है जब अमेरिकी सेना को इराक से निकाल दिया जाए। उन्होंने कहा कि इराक की जनता को अभी तक आईएसआईएस के खिलाफ संघर्ष में अमेरिका से कोई उल्लेखनीय सहयोग नहीं मिला है। यह इराक की जनता थी जिसने आईएसआईएस को पराजित किया है।

फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी कि रिपोर्ट के इराक के वरिष्ठ राजनेता का यह बयान उस समय सामने आया है जब अमेरिका को इस साल के अंत तक इस देश से निकल जाना है। इराकी संसद की ओर से प्रस्ताव पारित किए जाने एवं सरकार को अमेरिकी सेना को इराक से निकाले जाने के लिए जरूरी दिशा निर्देश जारी करने के बाद भी अमेरिका इराक में नित नए बहानों से टिका हुआ है और अमेरिकी सेंट्रल कमान के प्रमुख ने कहा है कि अमेरिका के कम से कम 2500 सैनिक इराक में मौजूद रहेंगे और सैन्य परामर्श एवं ट्रेनिंग के अलावा उनकी कोई गतिविधि नहीं होगी।

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