अमेरिका और ब्रिटेन का उत्तरी यमन पर संयुक्त हमला
अल-मसीरा समाचार चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी-अंग्रेज़ी गठबंधन ने यमन के उत्तरी क्षेत्र में स्थित सादा शहर के पूर्वी हिस्से को तीन बार हवाई हमलों से निशाना बनाया। यह क्षेत्र अंसारुल्लाह आंदोलन का पारंपरिक गढ़ माना जाता है। हमले से पहले स्थानीय सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी ड्रोन, सादा के ऊपर निगरानी करते हुए देखे गए थे, जिससे संकेत मिलता है कि यह एक सुनियोजित और रणनीतिक हमला था।
यह हमला उस समय हुआ जब कुछ घंटे पहले इज़रायली मीडिया ने दावा किया कि यमन ने फ़िलिस्तीन के कब्जे वाले केंद्र पर मिसाइल दागी। इस हमले से दक्षिणी फ़िलिस्तीन, तेल अवीव और उत्तरी फ़िलिस्तीन के दक्षिणी हाइफ़ा क्षेत्र तक के इलाकों में हड़कंप मच गया। “खदीरा” जैसे इलाकों में अलार्म सायरन बजने लगे, और लाखों लोग जान बचाने के लिए बंकरों की ओर भागने को मजबूर हो गए।
इज़रायली सेना का दावा और यमनी मिसाइल की वास्तविकता
इज़रायली सेना ने दावा किया कि इस मिसाइल को उनकी वायु रक्षा प्रणाली ने फ़िलिस्तीन के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले ही रोककर नष्ट कर दिया। लेकिन ज़मीन से प्राप्त रिपोर्ट और इज़रायली नागरिकों द्वारा साझा किए गए वीडियो ने इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए। इन वीडियो में यमनी मिसाइल को कब्जे वाले कुद्स और उत्तरी तेल अवीव के ऊपर उड़ते हुए देखा गया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि मिसाइल, इज़रायली दावे के विपरीत, उनके महत्वपूर्ण क्षेत्रों तक पहुंचने में सफल रही।
यमन और इज़रायल के बीच यह टकराव अचानक नहीं हुआ। यमन में अंसारुल्लाह आंदोलन और इज़रायल के बीच लंबे समय से तनाव है। यमनी नेतृत्व ने कई बार इज़रायल की नीतियों और फ़िलिस्तीन पर कब्जे की कड़ी आलोचना की है। दूसरी ओर, अमेरिकी-अंग्रेज़ी गठबंधन की ओर से यमन पर हमला यह दिखाता है कि पश्चिमी ताकतें इस क्षेत्र में अपने राजनीतिक और सामरिक हितों को सुरक्षित करने के लिए सक्रिय हैं।
यमनी प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावना
यमन पर यह हमला ऐसे समय हुआ है जब अंसारुल्लाह आंदोलन अपनी रक्षा प्रणाली और क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाने पर काम कर रहा है। यमन द्वारा फ़िलिस्तीन पर मिसाइल दागने की घटना यह संकेत देती है कि अंसारुल्लाह अब न केवल अपनी सीमाओं की सुरक्षा बल्कि क्षेत्रीय संघर्षों में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
इन हमलों के मानवीय प्रभाव भी गंभीर हैं। सादा शहर में बुनियादी ढांचे को नुकसान हुआ है और नागरिकों के जीवन पर इसका प्रभाव पड़ा है। साथ ही, यह हमला यमन में पहले से जारी संघर्ष को और तेज कर सकता है। इस हमले से यह साफ है कि यमन, इज़रायल और पश्चिमी गठबंधन के बीच तनाव एक नए चरण में प्रवेश कर चुका है।