तुर्की राष्ट्रपति अर्दोग़ान का तेहरान दौरा

तुर्की राष्ट्रपति अर्दोग़ान का तेहरान दौरा

ईरान और तुर्की के रिश्तों को मज़बूत करने के लिए राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान अपने एक उच्च स्तरीय शिष्ट मंडल के साथ सोमवार की शाम तेहरान के लिए रवाना होंगे। ईरानी राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के निमंत्रण पर राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान के होने वाले इस दौरे में दोनों देशों के अधिकारी आर्थिक, राजनैतिक और पड़ोस के विषयों पर मुख्य रूप से चर्चा करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रपति अर्दोग़ान आस्ताना शांति प्रक्रिया के गैरेंटर तीनों देशों यानी ईरान, तुर्की और रूस की सातवीं शिखर सम्मलेन में भाग लेंगे।

तुर्की राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान का औपचारिक स्वागत मंगलवार की सुबह उत्तरी तेहरान में स्थित सादाबाद महल में किया जाएगा। राष्ट्रपति अर्दोग़ान का यह दौरा उस समय हो रहा है कि जब रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन भी इसी सप्ताह तेहरान पहुंच रहे हैं जो तीनों देशों के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस शिखर सम्मलेन में सीरिया संकट का जायज़ा भी लिया जाएगा। इसलिए तेहरान में होने वाली यह शिखर सम्मलेन तीनों देशों के साथ ही इलाक़े के देशों के लिए भी बहोत अधिक महत्व रखती है।

तुर्की और ईरान दोनों ही पड़ोसी और इस्लामी देश हैं और इन देशों के आपसी रिश्ते और सहयोग का क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा महत्व रखता है। दोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह साबित किया है कि क्षेत्र के देशों के लिए वे प्रभावी व मुख्य भूमिका निभा सकते हैं जबकि बाहर से आने वाली शक्तियां इस इलाक़े से अपनी बिसात समेट लें। कहा जा रहा है कि ईरान-तुर्की रूस के सहयोग के साथ इस इलाक़े की समस्याओं को हल कर सकते हैं और सीरिया जैसे संकट का एक मज़बूत समाधान निकाल सकते हैं।

यह भी हकीकत है कि इन देशों के इलाक़े में कुछ समस्याएं ऐसी हैं जिनका समाधान निकलना अत्यधिक ज़रूरी है मगर यह भी निश्चित है कि तीनों देश एक दूसरे के सहयोग के साथ इन समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं। सीरिया में इस समय ईरान और रूस के सलाहकार मौजूद हैं जो कि सीरियाई सरकार की दावत पर वहां पहुंचे हुए हैं और अपनी तरफ से सारी सेवाएं दे रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि सीरिया की ज़मीन पर तुर्की सेना की मौजूदगी सीरिया के लिए पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी है इसलिए तुर्की की सेना को बहुत जल्द यहां से निकलने पर मजबूर किया जा सकता है। हालाँकि तुर्की ने साम्राज्यवादी ताक़तें जैसे अमेरिका और कुछ अरब सरकारों की साज़िश का हिस्सा बनकर सीरियाई सरकार को गिराने की कोशिश की और इसी बीच उसने अपने सैनिक भी सीरिया के भीतर पहुंचा दिए हैं। ज़ाहिर है कि तुर्की के इस क़दम को किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं किया जायेगा।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि तुर्की राष्ट्रपति का ये तेहरान दौरा द्विपक्षीय सहयोग की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि दोनों देशों के अगले एक साल के दौरान आपसी सहयोग के विस्तार की योजना को आगे बढ़ाना है। वहीं ईरान, रूस और तुर्की की शिखर सम्मलेन भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण है। अगर इस शिखर बैठक के फ़ैसलों पर अमल किया जाता है तो अमेरिका को इस इलाक़े से खदेड़ने में बड़ी सहायता मिलेगी।

ज्ञात रहे कि तीनों देशों के इस शिखर बैठक का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही बड़ा असर दिखाई देगा क्योंकि हाल में इसी सप्ताह संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन इस्राइल और सऊदी अरब के लिए रवाना हुए थे। जो बाइडेन का इन दोनों देशों का दौरा तेहरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने के लिए था।

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