द न्यू अरब: इस्राईल को परमाणु संपन्न ईरान से नही बल्कि उसके आर्थिक संपन्न होने का डर

द न्यू अरब: इस्राईल को परमाणु संपन्न ईरान से नही बल्कि उसके आर्थिक संपन्न होने का डर क्विंसी इंस्टीट्यूट के संस्थापकों में से एक ट्रिट्टा पारसी ने पिछले हफ्ते एक लेख प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने ईरान के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की नीति और इस्राईल की आलोचना की। पारसी का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने राष्ट्रपति पद की शुरुआत में कई महीनों के लिए परमाणु समझौते के पुन: प्रवेश में देरी कर के एक बड़ी रणनीतिक गलती की ।

इस दौरान  बाइडन ने इस्राईल के साथ बातचीत करने का एक निरर्थक प्रयास किया, जिससे दोनों को परमाणु समझौते के बारे में एक ही पृष्ठ पर रहने का अवसर मिलता। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका  यह महसूस कर रहा था कि कोई भी समझौता कभी भी इस्राईल को संतुष्ट नहीं कर सकता। पारसी का मानना है कि बाइडन की नीति का परिणाम कीमती खोया हुआ समय है।

पारसी का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका को इस तरह के समझौते पर इस्राईल के साथ संयुक्त समझौते की संभावना से बचना चाहिए। इसके बजाय ईरान के खिलाफ और इस्राईल की शिकायतों की परवाह किए बिना अमेरिका को अपने फायदे के लिए काम करना चाहिए। इस्राईल ने ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं के लिए हेरफेर किया है और साजिश रची है। उसने ईरान के साथ परमाणु वार्ता के लिए कभी भी व्यावहारिक दृष्टिकोण नहीं अपनाया है।

इस्राईल को परमाणु संपन्न ईरान से नही बल्कि उसके आर्थिक संपन्न होने का डर है। यदि इन मुद्दों पर कोई समझौता हो जाता है और सभी आर्थिक प्रतिबंध हटा लिए जाते हैं  तो ईरान लगभग रातोंरात एक आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा। इसके अलावा  ईरान के पास अपने तेल संसाधनों के दोहन की अपार संभावनाएं होंगी, जो आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान देगा।

 

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