क़ासिम सुलैमानी की मौत ने अमेरिका को कमज़ोर किया
अमेरिका ने इराक समेत मध्यपूर्व में अपने कम होते प्रभाव का मुख्य कारण सरदार क़ासिम सुलैमानी और उनकी टीम को मानते हुए जनवरी में सरदार क़ासिम सुलैमानी की हत्या कर दी थी.
अमेरिका ने सरदार सुलैमानी और उनके साथी अबू मेहदी की हत्या करने के बाद सोचा था की वह इराक में प्रतिरोधी दलों को कमज़ोर करने में सफल रहेगा लेकिन हालात एक दम अमेरिका की उम्मीदों के विपरीत बदले हुए हैं और इस बात को खुद अमेरिकी प्रशासन और ट्रम्प सरकार में शामिल रहे अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं.
अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी कौंसिल में मीडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका मेज़ के प्रभारी स्टीवन सिमोन के अनुसार ईरान के लोकप्रिय सेना नायक जनरल क़ासिम सुलैमानी की शहादत के बाद से ही इराक और इस क्षेत्र में अमेरिका का प्रभाव कम होता गया है.
T न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार इराक में छाए मौजूदा संकट के बारे में बात करते हुए स्टीवन सिमोन ने कहा कि मौजूदा संकट हमे सरदार क़ासिम सुलैमानी की हत्या के दौर की याद दिलाता है. अगर हमारे पास इस संकट को हल करने में ज़रा सी भी भूमिका निभाने का अवसर होता तो हम ज़रूर निभाते.
स्टीवन सिमोन ने कहा कि सरदार क़ासिम की हत्या के बाद इराक के हर शिया संगठन ने अमेरिका की इस हरकत का डटकर विरोध किया था. ईरान के बारे में इन शिया संगठन का नज़रिया कुछ भी और और भले ही उनके अमेरिका के साथ कितने अच्छे संबंध रहे हों लेकिन क़ासिम सुलैमानी की हत्या ने पूरे इराक को अमेरिका के खिलाफ एकजुट कर दिया था.
अमेरिका की यह हरकत इराक के लिए इतनी बुरी थी कि कोई इस की अनदेखी नहीं कर सकता था. यह इराक की संप्रभुता का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन था. यह इराक के लिए इतना बुरा काम था कि इराक पार्लियामेंट ने हर दबाव को ठुकराते हुए इराक से अमेरिका को तत्काल निकल जाने का प्रस्ताव पेश कर दिया था.