ग़ाज़ा में जो खून बहाया जा रहा, उसकी क़ीमत बर्दाश्त से बाहर: मारिव
इज़रायली अख़बार मारिव के सैन्य मामलों के विशेषज्ञ आवी अश्केनाज़ी ने ग़ाज़ा पट्टी में इज़रायली सेना की रणनीति पर कड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने खासतौर पर बैते हनून क्षेत्र में हुई ताज़ा घटनाओं का ज़िक्र करते हुए लिखा कि, वहां हुई घटनाएं बेहद दर्दनाक हैं और यह अब स्पष्ट हो चुका है कि ग़ाज़ा में इज़रायल जो कीमत चुका रहा है, वह किसी भी तरह बर्दाश्त के लायक नहीं है।
ग़ाज़ा में इज़रायली सेना की रणनीति में गंभीर ख़ामियां
उन्होंने कहा कि उत्तरी ग़ाज़ा पट्टी में इज़रायली सेना की रणनीति, न केवल ग़लत है, बल्कि उसमें गंभीर ख़ामियां भी हैं। उनकी राय में हमास ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मज़बूत कर ली है। उन्होंने चेतावनी देते हुए बताया कि हमास ने बड़ी संख्या में बम और विस्फोटक तैयार किए हैं, जो इज़रायली सैनिकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं।
हमास के हथियारबंद लड़ाके, एंटी-टैंक मिसाइलों से लैस
इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमास के हथियारबंद लड़ाके, जो एंटी-टैंक मिसाइलों से लैस हैं, उत्तरी ग़ाज़ा में सक्रिय हैं। ये लड़ाके इज़रायली सेना के सैनिकों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं और अब यह स्पष्ट हो गया है कि इज़रायल के पास ग़ाज़ा के किसी भी हिस्से में – चाहे वह उत्तर हो, केंद्र हो, या दक्षिण – करने के लिए कुछ खास नहीं बचा है।
ताजा घटनाओं ने इज़रायल को नई रणनीति अपनाने पर मजबूर किया
मारिव ने यह भी खुलासा किया कि बैते हनून में हाल की घटनाओं के बाद, जहां एक घटना में चार इज़रायली सैनिक मारे गए और नहल ब्रिगेड के छह अन्य घायल हुए, इज़रायली सेना को अपनी युद्ध रणनीति में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस नुकसान ने इज़रायली सेना को झकझोर कर रख दिया है और उनके मनोबल पर गहरा असर डाला है।
यह भी बताया गया है कि हमास ने ग़ाज़ा के इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति काफी मज़बूत कर ली है। इसने न केवल इज़रायली सेना की मुश्किलें बढ़ाई हैं, बल्कि उनके ऑपरेशन की क्षमता को भी सीमित कर दिया है।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इज़रायल के लिए ग़ाज़ा पट्टी में और खासकर उत्तरी क्षेत्रों में आगे बढ़ना अब बेहद मुश्किल हो गया है। इसके पीछे मुख्य कारण है हमास की मज़बूत योजना, जिसमें बड़ी संख्या में विस्फोटक और एंटी-टैंक मिसाइल शामिल हैं। इज़रायल के लिए यह एक बड़ा सबक है कि अब ग़ाज़ा पट्टी में अपनी गतिविधियों को फिर से सोच-समझकर रणनीतिक रूप से संचालित करे।
इज़रायली सेना के आलोचक मानते हैं कि अगर यह स्थिति जारी रही तो इज़रायल को ग़ाज़ा में और भी बड़े नुकसान उठाने पड़ सकते हैं। वहीं दूसरी ओर, हमास की ओर से भी यह संकेत मिल रहा है कि वे इज़रायल को हर कदम पर कड़ा जवाब देने के लिए तैयार हैं।


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