सऊदी युवराज की ज़ायोनीवाद में दिलचस्पी की कोई सीमा नहीं

सऊदी युवराज की ज़ायोनीवाद में दिलचस्पी की कोई सीमा नहीं मानवधिकार संगठन सऊदी युवराज की एक और अपमानजनक गतिविधि का पर्दाफाश कर रहे हैं।

सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान की जायोनीवाद में दिलचस्पी की कोई सीमा नहीं है। सऊदी अरब में फिलिस्तीनी लोगों को बिना किसी अपराध एवं जुर्म के बंदी बनाया जाना कोई नई बात नहीं है लेकिन मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट कई गंभीर सवाल एवं चिंताएं खड़े करती हैं।

सऊदी अरब में बंदी बनाए गए इन फिलिस्तीनी लोगों से पूछताछ में सऊदी अरब के साथ-साथ इस्राईल की खुफिया एजेंसी मोसाद के अधिकारी भी शामिल थे।

Thesaudireality.com की रिपोर्ट के अनुसार  फिलिस्तीनी बंदियों के परिवारों, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह ने सऊदी अरब में फिलिस्तीनी बंदियों की स्थिति पर अल जजीरा मिरर के साथ एक संगोष्ठी में भाग लेते हुए कहा कि सऊदी अरब सरकार इन बंदियों को कानूनी सहायता पहुंचाने में बाधाएं उत्पन्न कर रही है।

सोशल मीडिया नेटवर्क ज़ूम पर आयोजित हो रही इस संगोष्ठी में भाग लेते हुए सऊदी अरब के राजनीतिक कार्यकर्ता मोहम्मद अल उमरी ने कहा कि सऊदी अदालत इन बंदियों की न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डाल रही है।

उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी कैदियों के मुकदमे को स्थगित करना दरअसल फिलिस्तीनी प्रतिरोधी दलों के साथ टकराव का एक हिस्सा है और सऊदी सरकार इस मामले को इस्राईली कैदियों के साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा कि इन बंदियों के कानूनी अधिकारों का हनन हो रहा है। इस मामले के रणनीतिक महत्व को देखते हुए यूरोप के अधिकारियों के भेष में मोसाद के अधिकारी भी फिलिस्तीनी बंदियों से पूछताछ के सत्र में हिस्सा ले रहे हैं।

ऐसे कई मामले हैं जहां इन जांचकर्ताओं ने पूछताछ सत्र के दौरान फिलिस्तीन के अंदर की घटना या फिलिस्तीनी लोगों के बारे में सवाल पूछे हैं।

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