सऊदी अरब संघर्ष विराम की आड़ में यमन के खिलाफ मोर्चा बनाने में जुटा
यमन के खिलाफ सऊदी अरब की ओर से पिछले 8 साल से जारी जंग पर बात करते हुए यमन के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सऊदी अरब युद्ध विराम की आड़ में अपने सैनिकों और सहयोगियों को एकजुट करने की मोहलत जुटाने की कोशिश कर रहा है.
यमन की सुप्रीम पोलिटिकल कौंसिल के चीफ सलाहकार मोहम्मद हजर ने कहा कि सऊदी अरब यमन जंग को बंद करने के लिए ईमानदारी से काम नहीं ले रहा है. वह युद्धविराम भी सिर्फ इसलिए चाहता है ताकि यमन के खिलाफ अपनी बिखरी हुई शक्ति को जमा कर सके और अपने सहयोगियों तथा किराये के एजेंटों को फिर से संगठित करते हुए यमन के खिलाफ राजनैतिक एवं सैनिक मोर्चे को मज़बूत कर सके.
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब अपने किराये के एजेंटों को एकजुट करने और उनमे नई जान फूंकने के लिए संघर्ष विराम का ढोंग रचा रहा है और इस योजना का असली खिलाड़ी ब्रिटेन है. वह यमन के खिलाफ साज़िश कर रहा है. उसे यमन की स्थिति की जानकारी है वह यहाँ के हालात जानता है क्योंकि वह दक्षिणी यमन पर 128 साल तक क़ब्ज़ा जमाए रहा है.
मोहम्मद अल हजर ने कहा कि युद्ध विराम के बाद से हमने अपने सभी ज़मीनी , समुद्री और हवाई अभियान रोक दिए लेकिन अतिक्रमणकारी गठबंधन की ओर से लगातार सीज़फायर की धज्जियाँ उड़ाई जाती रही और यमन के खिलाफ बर्बर हमले जारी रहे. सऊदी फौजों की ओर से यमन पर लगातार बमबारी और ड्रोन हमले जारी रहे.
ब्रिटेन ने जिस तरह इस्राईल का गठन किया और बाद में यहाँ दुनिया भर से यहूदियों को जमा करने में सहूलतें दिन ठीक इसी तरह खाड़ी देशों में उसने खानदानी हुकूमतें और अपनी पसंद के शासक बिठाए. बहुत संभव है कि वह अब सऊदी अरब के समर्थन में “अल मोहरा” में अपने फौजी अड्डा भी क़ायम कर ले.