संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ़िलिस्तीन की सदस्यता पर प्रस्ताव, भारी बहुमत से पारित

संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ़िलिस्तीन की सदस्यता पर प्रस्ताव, भारी बहुमत से पारित

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में फ़िलिस्तीन की अंतरराष्ट्रीय हैसियत को लेकर एक बड़ी और ऐतिहासिक प्रगति हुई है। महासभा ने अपने 80वें सत्र के दौरान एक प्रस्ताव भारी बहुमत से पारित किया। प्रस्ताव के पक्ष में 145 देशों ने वोट दिया, जबकि विरोध में केवल 5 वोट पड़े और 6 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। यह परिणाम इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक समुदाय की बहुसंख्या फ़िलिस्तीनी जनता के आत्मनिर्णय के अधिकार और उनकी राजनीतिक संघर्ष को मान्यता देती है।

इस प्रस्ताव के तहत फ़िलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों में सार्थक भागीदारी के लिए नया ढांचा प्रदान किया गया है। इसमें फ़िलिस्तीनी राष्ट्रपति या अन्य उच्च प्रतिनिधियों को महासभा की बैठकों, उच्च स्तरीय सम्मेलनों और वैश्विक चर्चाओं में सीधे या रिकॉर्डेड बयान प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है। साथ ही यह शर्त भी रखी गई है कि, जहां संभव हो, फ़िलिस्तीनी अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित की जाए ताकि उनकी आवाज़ दुनिया तक पहुँच सके।

इस कदम को फ़िलिस्तीन के लिए कूटनीतिक स्तर पर असाधारण सफलता माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यद्यपि अमेरिका और उसके कुछ करीबी सहयोगियों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, लेकिन भारी समर्थन ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि दुनिया अब इज़रायली क़ब्ज़े और आक्रामकता को अनदेखा करने के लिए तैयार नहीं है।

यह प्रगति ऐसे समय में हुई है जब फ़िलिस्तीनी जनता वर्षों से कब्ज़ा जमाए इज़रायली सेना की आक्रामकता और अमेरिकी समर्थन वाले अत्याचार का सामना कर रही है। फ़िलिस्तीन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थान देना न केवल उनके अधिकारों की मान्यता है बल्कि इसराइल पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाने का एक अहम साधन भी है।

वैश्विक विश्लेषकों का कहना है कि यह प्रस्ताव फ़िलिस्तीनी जनता के हौसले बुलंद करेगा और उनकी स्वतंत्रता की लड़ाई को और मजबूती देगा। इस समय फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने के ऐलानों का एक व्यापक सिलसिला जारी है। उम्मीद है कि सोमवार को ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम सहित दस और देश फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देंगे। यह प्रगति संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र के मौके पर होगी। महासभा से पहले शिखर सम्मेलन में ये देश फ़िलिस्तीन को औपचारिक रूप से मान्यता देंगे।

वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीनी राज्य को पर्यवेक्षक (ऑब्ज़र्वर) का दर्जा प्राप्त है, लेकिन उसके पास मतदान का अधिकार नहीं है यानी पूर्ण सदस्यता अभी नहीं मिली है। चाहे जितने भी सदस्य देश फिलिस्तीन को मान्यता दें, वास्तविक महत्व संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता का है।

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