प्रतिरोध समूह कभी भी हथियार नहीं छोड़ेगा: इस्लामिक जिहाद

प्रतिरोध समूह कभी भी हथियार नहीं छोड़ेगा: इस्लामिक जिहाद

फ़िलिस्तीन की इस्लामी जिहाद आंदोलन के उप महासचिव ने स्पष्ट किया है कि प्रतिरोध समूहों (resistance groups) ने अपने हथियार सौंपने से इनकार कर दिया है और वे किसी भी तरह के बलपूर्वक निरस्त्रीकरण (Disarmament by force) को स्वीकार नहीं करेंगे। बुधवार तड़के ईरना की रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद अल-हिंदी ने अल-जज़ीरा टीवी चैनल से बातचीत में कहा, “युद्ध-विराम (Ceasefire) समझौते में कोई गुप्त या गोपनीय धारा मौजूद नहीं है। हम उन अफ़वाहों पर ध्यान नहीं देते जो इज़रायली क़ब्ज़ा करने वालों द्वारा फैलाई जा रही हैं।”

उन्होंने जोड़ा कि “
क़ब्ज़ा करने वाले शासन की तरफ़ से समझौते के क्रियान्वयन में बाधा डालने की कोशिशें अप्रत्याशित नहीं थीं।”

अल-हिंदी ने कहा:
बेंजामिन नेतन्याहू ‘पूर्ण विजय’ (Absolute Victory) के भ्रम को हासिल करने में नाकाम रहे हैं, और हम ग़ाज़ा पट्टी के प्रबंधन के लिए किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि की मौजूदगी को स्वीकार नहीं करेंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध-विराम की निगरानी के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय बल मौजूद नहीं है।”

ईरना के अनुसार, इससे पहले ‘मारवान अब्दुल आल’, जो फ़िलिस्तीनी जन मोर्चा (Popular Front for the Liberation of Palestine) के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य हैं, उन्होंने कहा कि, प्रतिरोध के हथियारों का मुद्दा कभी भी वार्ता के एजेंडे में शामिल नहीं था। अब्दुल आल ने ‘अल-अक़्सा’ चैनल से बातचीत में कहा — “प्रतिरोध के हथियारों पर बातचीत नहीं हुई, और ग़ाज़ा पट्टी का प्रशासन एक राष्ट्रीय मुद्दा बना रहेगा।”

यह बयान उस समय आया है जब मीडिया रिपोर्टों में ग़ाज़ा पट्टी के भविष्य और प्रतिरोध समूहों की भूमिका को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। उन्होंने आगे कहा — “हम ऐसे दुश्मन का सामना कर रहे हैं जो भरोसेमंद नहीं है और जो लगातार समझौतों का उल्लंघन करता रहता है।”

इसके अलावा, ‘मोहम्मद नज़्ज़ाल’, जो हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य हैं, उन्होंने भी पहले ‘रियानोवोस्ती’ न्यूज़ एजेंसी से कहा था, “हमास के नज़रिए से हथियारों का अस्तित्व इज़रायली क़ब्ज़े से जुड़ा हुआ है। इसलिए किसी भी तरह की निरस्त्रीकरण की मांग या शर्त को हम अस्वीकार करते हैं।”

ग़ाज़ा में युद्ध-विराम को लेकर हमास और इज़रायल के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता सोमवार, 14 मेहर 1404 (7 अक्टूबर 2025) को मिस्र के समुद्री शहर शर्म-अल-शेख़ में शुरू हुई।

यह बैठक मिस्र, क़तर और तुर्की की मध्यस्थता में आयोजित की गई थी ताकि डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके। पहले दिन वार्ता का माहौल सकारात्मक बताया गया था और यह उम्मीद जताई गई थी कि समझौता गुरुवार या शुक्रवार (17 और 18 मेहर) तक तय हो जाएगा।

बातचीत के जारी रहने के बाद, हमास ने गुरुवार तड़के (17 मेहर) एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए ग़ाज़ा में युद्ध की समाप्ति और क़ैदियों की अदला-बदली के समझौते की घोषणा की। इसके बाद बताया गया कि दोनों पक्ष क़ैदियों की सूची पर अप्रत्यक्ष रूप से परामर्श कर रहे हैं, और अंततः समझौते के अनुसार सोमवार, 21 मेहर (13 अक्टूबर 2025) की सुबह से क़ैदियों की अदला-बदली की प्रक्रिया शुरू हो गई।

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