“हमें याद रखिएगा” शहीद फ़िलिस्तीनी डॉक्टर के आख़री शब्द
ग़ाज़ा पट्टी में मज़लूम फिलिस्तीनियों का नरसंहार जारी है। कड़कड़ाती हुई ठंड और बारिश के पानी में, गीली ज़मीन और भीगे हुए टेंट में फ़िलिस्तीनी भूखे प्यासे अपनी ज़िन्दगी गुज़ारने पर मजबूर हैं। ग़ाज़ा के बच्चे सिर्फ़ इज़रायली बमबारी से ही शहीद नहीं हो रहे हैं बल्कि वह कड़कड़ाती हुई ठंड के कारण भी शहीद हो रहे हैं। पता नहीं उन मां- बाप के दिलों पर उस वक़्त क्या गुज़रती होगी होगी जब वह अपने भूखे प्यसर बच्चों को ठंड के कारण शहीद हो जाने के बाद दफ़्न करते होंगे।
ग़ाज़ा में इज़रायली सैनिक, हमलों में बच्चों, महिलाओं, आदमियों के साथ- साथ अस्पतालों, डॉक्टरों और नर्सों को भी शहीद कर रहे हैं, ताकि जो लोग इज़रायली बमबारी से बच गए हैं, वह इलाज न मिलने के कारण शहीद हो जाएं। न जाने कितने डॉक्टर हैं जो अपनी जान और धमकियों की परवाह किए बिना घायलों का इलाज करते हुए शहीद हो गए। ऐसे में एक शहीद डॉक्टर “अबू नुजैला” के आखिरी शब्द ने सभी की ऑंखें नम कर दी हैं। उनके आख़री शब्द पढ़ते हुए संयुक्त राष्ट्र के राजदूत भी रोने लगें।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में शुक्रवार को फिलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर ने एमएसएफ के दिवंगत डॉक्टर अबू नुजैला के आखिरी शब्द दोहराते हुए भावुक हो गए। अबू नुजैला ने अस्पताल के व्हाइटबोर्ड पर लिखा था, “जो आखिरी तक रहेगा, वही यह कहानी बताएगा कि हमने वह सब किया जो हम कर सकते थे। हमें याद रखिएगा। हम सिर्फ यादों में रहने से ज्यादा के हकदार हैं।” नवंबर 2023 में ग़ाज़ा के अल-औदा अस्पताल में फिलिस्तीनियों का इलाज करते हुए, इज़रायली हमले में अबू नुजैला शहीद हो गए थे।
इज़रायली हमले न केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हैं, बल्कि चिकित्सा सुविधाओं, अस्पतालों, और मानवीय सेवाओं पर भी प्रहार करते हैं। ऐसे हमलों में डॉक्टर, नर्सें और मरीजों को जान गंवानी पड़ती है। इज़रायली हमले बार-बार अस्पतालों, क्लीनिकों और एंबुलेंस सेवाओं को निशाना बनाते रहे हैं। इन हमलों में चिकित्सा उपकरण नष्ट हो जाते हैं, डॉक्टर और मरीजों की जान जाती है, और घायलों के इलाज में बाधा आती है। ग़ाज़ा के लगभग सभी अस्पताल, इज़रायली हमलों के कारण ध्वस्त हो चुके हैं। चिकित्सा सेवाओं को बाधित करना न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि यह मानवीयता पर भी प्रहार है।
डॉक्टर अबू नुजैला के आखिरी शब्द
नवंबर 2023 में इज़रायल के मिसाइल हमले में मारे जाने से पहले एमएसएफ के डॉक्टर मोहम्मद अबू नुजैला ने ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले व्हाइटबोर्ड पर लिखा था, “जो आखिरी तक रहेगा, वह हमारी कहानी बताएगा। हमने वह सब किया जो हम कर सकते थे। हमें याद रखिएगा। हम सिर्फ यादों में रहने से ज्यादा के हकदार हैं।” उनके ये शब्द सुनाते हुए, संयुक्त राष्ट्र में राजदूत रियाद मंसूर की आंखें भर आईं।
फ्रंटलाइन डिफेंडर्स (एफएलडी) का बयान
डबलिन, आयरलैंड में स्थित फ्रंटलाइन डिफेंडर्स (एफएलडी) के अनुसार, अबू नुजैला एमएसएफ के साथ काम करने वाले फिलिस्तीनी अधिकार कार्यकर्ता, डॉक्टर और चिकित्सा स्वयंसेवक थे। एफएलडी ने कहा, “2023 में ग़ाज़ा में इज़रायल के अत्याचारों के दौरान, वह फ्रंटलाइन पर थे और घायल लोगों का इलाज कर रहे थे। उन्होंने बेहद कठिन परिस्थितियों में अपनी जान जोखिम में डालकर फिलिस्तीनी घायलों का इलाज किया।”
21 नवंबर 2023 को ग़ाज़ा के अल-औदा अस्पताल में इज़रायली हमले के दौरान, अबू नुजैला अन्य दो डॉक्टरों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ मारे गए। एफएलडी के अनुसार, “जब अस्पताल की तीसरी और चौथी मंजिल को निशाना बनाया गया, तब वह घायलों का इलाज कर रहे थे। अल-औदा अस्पताल ग़ाज़ा के अस्थायी रूप से सक्रिय बड़े अस्पतालों में से एक है।”
“इस नर्क को खत्म कीजिए”
रियाद मंसूर ने सुरक्षा परिषद से अपील की कि, ग़ाज़ा में इजरायल की नरसंहारक युद्ध को खत्म किया जाए। उन्होंने कहा, “यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप घायल लोगों का इलाज करें। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इस नरसंहारक युद्ध को समाप्त करें।”
मंसूर ने आगे कहा, “यह हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम इन परेशानियों और मुश्किलों को खत्म करें। फिलिस्तीनी डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर घायलों का इलाज करना जारी रखा है। उन्होंने पीड़ितों को कभी नहीं छोड़ा। कृपया उन्हें यूं ही मत छोड़िए। इज़रायली बर्बरता को खत्म कीजिए। फिलिस्तीनियों पर हो रहे अत्याचारों को बिना शर्त और तुरंत समाप्त कीजिए।”
शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई सदस्य ग़ाज़ा के अस्पतालों पर इज़रायली हमलों को लेकर चिंतित दिखे। पाकिस्तान के राजदूत आसिम इफ्तिखार ने कहा, “ग़ाज़ा के अस्पतालों, चिकित्सा कर्मियों और मरीजों पर हमला मानव कानूनों के हर सिद्धांत का उल्लंघन है और इसका कोई औचित्य नहीं हो सकता।” यह बैठक ग़ाज़ा के कमाल अदवान अस्पताल पर इज़रायली हमले और उसके निदेशक हुसाम अबू सफिया की गिरफ्तारी के बाद आयोजित की गई थी।
शहीदों की वास्तविक संख्या
ग़ाज़ा में इज़रायली आक्रमण को 456 दिन पूरे हो चुके हैं। 7 अक्टूबर 2024 को इस युद्ध को एक साल पूरा हुआ था। रिपोर्टों के अनुसार, इज़रायली आक्रमण में 45,658 फिलिस्तीनी मारे गए जबकि 10,85,083 लोग घायल हुए हैं। लेबनान में, इज़रायल ने अक्टूबर 2023 से 27 नवंबर 2024 तक युद्ध-विराम समझौते से पहले 4,000 से अधिक लोगों को शहीद कर दिया था। समझौते का उल्लंघन करते हुए इज़रायल ने युद्ध के बाद भी हमले जारी रखे। हालांकि, अभी भी 11,000 फिलिस्तीनियों के मलबे के नीचे दबे होने की आशंका है।
इसके अलावा, 10,000 फिलिस्तीनियों को इज़रायल ने हिरासत में लिया है और उन्हें इज़रायली जेलों में बंद किया गया है। विशेषज्ञों और अन्य जांचों के अनुसार, यह केवल एक अनुमान है, जबकि इज़रायली हमलों में मारे गए फिलिस्तीनियों की वास्तविक संख्या 2 लाख से अधिक हो सकती है। इज़रायली आक्रमण के कारण ग़ाज़ा में केवल विनाश ही विनाश है। क्षेत्र की 90% आबादी, यानी 2.4 मिलियन से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं, जिनमें से कई ने कई बार विस्थापन का सामना किया है। ग़ाज़ा में सर्दियों की शुरुआत के बाद, तटीय क्षेत्रों और शरणार्थी शिविरों में रह रहे फिलिस्तीनियों की समस्याएं और बढ़ गई हैं।
ध्यान रहे कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने ग़ाज़ा में इज़रायल को नरसंहार का दोषी ठहराया था, साथ ही अदालत ने इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व इज़रायली रक्षामंत्री योआव गैलंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।