ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण के लिए चाहिए 5 साल और 67 अरब डॉलर

ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण के लिए चाहिए 5 साल और 67 अरब डॉलर

ग़ाज़ा, जो पिछले दो सालों से इज़रायली हमलों के बाद मलबे में तब्दील हो चुका है, उसके पुनर्निर्माण के लिए कम से कम 5 साल का समय और 67 अरब डॉलर की भारी-भरकम रकम की ज़रूरत होगी। यह अनुमान फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी ने पेश किया है। मगर हक़ीक़त यह है कि पुनर्निर्माण अभी भी बहुत दूर है, क्योंकि युद्ध-विराम लागू होने के बावजूद इज़रायल ने हमले बंद नहीं किए हैं।

10 अक्टूबर को युद्ध-विराम समझौते के बाद से अब तक तेल अवीव 80 से ज़्यादा बार इसका उल्लंघन कर चुका है, जिनमें 100 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हुए हैं। मंगलवार को सिर्फ़ 24 घंटे के अंदर 13 लोगों की लाशें अस्पताल पहुंचीं। पिछले 11 दिनों में घायलों की संख्या लगभग 300 तक पहुँच गई है। युद्ध-विराम की शर्तों में राहत कार्य की पूरी बहाली भी शामिल थी, लेकिन ज़ायोनी शासन ने अब तक सभी बॉर्डर क्रॉसिंग नहीं खोले हैं, इसलिए पूरी मदद नहीं पहुँच पा रही है और ग़ाज़ा के लोग खाने-पीने की चीज़ों के लिए राहत केंद्रों पर लंबी कतारों में खड़े होने को मजबूर हैं।

पुनर्निर्माण का तीन चरणों वाला प्लान
फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी के प्रधानमंत्री मोहम्मद मुस्तफ़ा ने बताया कि पुनर्निर्माण का यह प्लान तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में मानवीय ज़रूरतों की तत्काल पूर्ति और बुनियादी ढांचे की बहाली के लिए 3.5 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी। दूसरा चरण, जो तीन वर्षों तक चलेगा, उसकी लागत 30 अरब डॉलर आंकी गई है। तीसरे चरण में इमारतों और पूरे इंफ़्रास्ट्रक्चर का पुनर्निर्माण किया जाएगा, जो दो साल के इज़राइली युद्ध में पूरी तरह तबाह हो चुका है।

मोहम्मद मुस्तफ़ा द्वारा पेश किया गया यह प्लान संयुक्त राष्ट्र की फ़रवरी में जारी रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण की कुल लागत लगभग 70 अरब डॉलर बताई गई थी। बीबीसी के फैक्ट-चेकिंग डिपार्टमेंट की हालिया उपग्रह तस्वीरों पर आधारित जांच के अनुसार, तबाही इतनी भीषण है कि असली पुनर्निर्माण शुरू होने से पहले लगभग 6 करोड़ टन मलबा हटाना पड़ेगा।

84% ग़ाज़ा तबाह हो चुका है
संयुक्त राष्ट्र की विकास एजेंसी (UNDP) के अनुसार, ग़ाज़ा का लगभग 84% हिस्सा तबाह हो गया है। कुछ इलाकों में तबाही का स्तर इससे भी अधिक है — जैसे ग़ाज़ा सिटी, जिसे तेल अवीव “हमास का केंद्र” मानता है, वहाँ 92% इमारतें नष्ट हो चुकी हैं। ग़ाज़ा नगरपालिका के मुताबिक़, 90% सड़कों का अस्तित्व मिट चुका है।

प्रधानमंत्री मोहम्मद मुस्तफ़ा ने बताया कि फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी पुनर्निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से बातचीत कर रही है। साथ ही शांति समझौते के तहत ग़ाज़ा का प्रशासनिक नियंत्रण संभालने की तैयारियाँ भी चल रही हैं। हालांकि फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी ख़ुद आर्थिक संकट से जूझ रही है, इसलिए पुनर्निर्माण के लिए उसे सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की आर्थिक मदद पर सबसे ज़्यादा निर्भर रहना पड़ेगा।

युद्ध थम गया, लेकिन हमले जारी हैं
ग़ाज़ा में 10 अक्टूबर के युद्ध-विराम के बावजूद इज़रायल के लगातार हमलों से यह समझौता ख़तरे में पड़ गया है। ग़ाज़ा के नागरिक अब युद्ध-विराम की स्थिरता पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। पुनर्निर्माण की बातें तो हो रही हैं, मगर ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि इज़रायल 80 से ज़्यादा बार युद्ध-विराम का उल्लंघन कर चुका है और फ़िलिस्तीनियों को इतनी भी मोहलत नहीं मिल पा रही कि वे मलबे में दबी लाशों को निकाल सकें।

अनुमान है कि अब भी लगभग 10,000 शव मलबे में दबे हैं। राहत सामग्री न पहुँच पाने के कारण यह काम असंभव बना हुआ है। हमास के अधिकारियों के अनुसार, इन शवों को निकालने के लिए भारी मशीनों की सख़्त ज़रूरत है।

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