नेतन्याहू द्वारा सऊदी अरब को लेकर दिए गए बयानों पर क़तर नाराज़
क़तर के विदेश मंत्रालय ने इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के हालिया बयान को “उत्तेजक” और “अंतरराष्ट्रीय कानून” का स्पष्ट उल्लंघन” करार दिया है। साथ ही, क़तर ने इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर के खुले उल्लंघन के रूप में भी वर्णित किया है। नेतन्याहू ने यह बयान इज़रायली टेलीविज़न चैनल के साथ एक साक्षात्कार के दौरान दिया था, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि सऊदी अरब के पास पर्याप्त खाली ज़मीन है और वह अपने स्वयं के क्षेत्र के भीतर एक फिलिस्तीनी राज्य बना सकता है।
नेतन्याहू के इस बयान ने अरब दुनिया में तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है, विशेष रूप से सऊदी अरब में। सऊदी अरब ने इस बयान को नकारात्मक और अव्यावहारिक बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। क़तर ने भी इस मामले पर सऊदी अरब के साथ एकजुटता व्यक्त की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि वह इज़रायल की ऐसी उत्तेजक कार्रवाइयों और बयानों पर नोटिस ले।
क़तर के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि फिलिस्तीनियों के जबरन विस्थापन की मांग को खारिज कर दिया जाना चाहिए। मंत्रालय ने चेतावनी दी कि ऐसी मांगें शांति प्रक्रिया को बाधित कर सकती हैं और इस क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को खतरे में डाल सकती हैं। क़तर ने जोर देकर कहा कि फिलिस्तीन के मुद्दे और फिलिस्तीनी लोगों के वैध अधिकारों के प्रति उसका रुख स्पष्ट और स्थिर है।
क़तर ने यह भी कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें अपनी भूमि पर स्वतंत्र राज्य स्थापित करने का अधिकार देना अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है। क़तर ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से आह्वान किया कि वे इज़रायल की ऐसी नीतियों और बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दें, जो शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इस बयान के बाद, क्षेत्रीय स्तर पर तनाव बढ़ने की आशंका है। अरब देशों ने इज़रायल की ओर से ऐसे बयानों को पहले भी नकारात्मक और अव्यावहारिक बताया है। सऊदी अरब और क़तर जैसे देशों ने लगातार फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का समर्थन किया है और इज़रायल की नीतियों की आलोचना की है।
इस घटनाक्रम के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से इज़रायल पर दबाव बढ़ने की संभावना है। क़तर और सऊदी अरब जैसे देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के लिए खड़े रहेंगे और इज़रायल की ऐसी नीतियों का विरोध करेंगे, जो शांति प्रक्रिया को बाधित करती हैं।
इस प्रकार, नेतन्याहू के बयान ने न केवल क्षेत्रीय स्तर पर तनाव को बढ़ाया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इज़रायल की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। क़तर और अन्य अरब देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे और इज़रायल की ऐसी नीतियों का विरोध करेंगे, जो शांति और स्थिरता के लिए खतरा हैं।


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