पोप फ्रांसिस ने ग़ाज़ा में “इज़रायल द्वारा नरसंहार” की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की

पोप फ्रांसिस ने ग़ाज़ा में “इज़रायल द्वारा नरसंहार” की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की

पोप फ्रांसिस, जो विश्व के कैथोलिक समुदाय के प्रमुख हैं, ने ग़ाज़ा पट्टी में इज़रायल द्वारा कथित तौर पर किए जा रहे नरसंहार की संभावनाओं पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निष्पक्ष और गहन जांच की अपील की है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इसे ग़ाज़ा के खिलाफ इज़रायल के एक साल से चल रहे संघर्ष पर पोप की सबसे कठोर आलोचना करार दिया है। रविवार को एक आगामी पुस्तक के सारांश में पोप ने उल्लेख किया कि, “कुछ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ यह मानते हैं कि ग़ाज़ा में जो कुछ हो रहा है, उसमें नरसंहार की सभी विशेषताएं मौजूद हैं।”

इतालवी समाचार पत्र ला स्ताम्पा के अनुसार, पोप फ्रांसिस ने यह भी कहा कि, “हमें सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो कुछ भी हो रहा है, वह उन कानूनी परिभाषाओं से मेल खाता है या नहीं, जो नरसंहार के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून और संगठनों द्वारा निर्धारित की गई हैं।”

पिछले साल दिसंबर में, दक्षिण अफ्रीका ने इज़रायल के खिलाफ नरसंहार कन्वेंशन के उल्लंघन का मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में दायर किया था। यह कदम उन आरोपों के बाद उठाया गया था, जिनमें गाजा में इज़रायल की सैन्य कार्रवाइयों को मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया गया।

पोप की पहले की प्रतिक्रियाएं

यह पहली बार नहीं है जब पोप फ्रांसिस ने ग़ज़ा और लेबनान में इज़रायल की नीतियों और कार्रवाइयों की आलोचना की है। उन्होंने बार-बार उन संघर्षों को मानवीय दृष्टिकोण से गलत करार दिया है।

पिछले अक्टूबर में, पोप ने ग़ाज़ा में इज़रायल की सैन्य कार्रवाइयों को “अनैतिक” करार देते हुए कहा था, “मैं हर दिन ग़ाज़ा क्षेत्र में संपर्क करता हूं। वहां चर्च के अधिकार क्षेत्र में और कॉलेज में 600 से अधिक लोग हैं। वे मुझे वहां हो रहे घटनाक्रम की जानकारी देते हैं, जिसमें अत्याचार और अन्यायपूर्ण कार्य शामिल हैं।”

नरसंहार की परिभाषा पर जोर

पोप फ्रांसिस ने गाजा में स्थिति को नरसंहार करार देने से पहले कानूनी परिभाषा और साक्ष्यों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे को गंभीरता से ले और निष्पक्ष रूप से सभी साक्ष्यों की जांच करे।

वैश्विक प्रतिक्रिया

पोप के इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार संगठनों और अन्य देशों को भी सक्रिय किया है। कई मानवाधिकार संगठन पहले से ही ग़ाज़ा में मानवीय स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। दक्षिण अफ्रीका द्वारा दायर मामला इस बात का संकेत है कि दुनिया के कई देश इस मामले को लेकर गंभीर हैं।

ग़ाज़ा में मौजूदा हालात

ग़ाज़ा में मौजूदा हालात बेहद गंभीर हैं। निरंतर सैन्य हमलों और नाकाबंदी के कारण वहां के लोग खाद्य, पानी और चिकित्सा जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए जूझ रहे हैं। पोप ने गाजा के नागरिकों की दुर्दशा को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तुरंत कार्रवाई करने की अपील की है।

पोप का यह बयान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि मानवीय आधार पर भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर गाजा में हो रही घटनाओं की निष्पक्ष और ठोस जांच करने का दबाव बढ़ा सकता है।

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