फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों का अमेरिकी प्रस्तावित मसौदे पर कड़ा प्रतिवाद
फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों ने रविवार को चेतावनी दी कि, ग़ाज़ा में अंतरराष्ट्रीय सेना की तैनाती से संबंधित अमेरिकी प्रस्ताव का मसौदा वास्तव में इस क्षेत्र पर बाहरी नियंत्रण थोपने और फ़िलिस्तीनी निर्णय-प्रक्रिया को नज़रअंदाज़ करने के समान है। एक संयुक्त बयान में इन समूहों ने कहा कि प्रस्तावित अधिकार-पत्र से ‘‘फ़िलिस्तीनी राष्ट्रीय निर्णयों पर विदेशी प्रभुत्व’’ और मजबूत होगा। इसके परिणाम स्वरूप ग़ाज़ा के प्रबंधन और पुनर्निर्माण की ज़िम्मेदारियाँ एक ऐसे उच्च राष्ट्रीय निकाय को सौंप दी जाएँगी, जिसके व्यापक अधिकार फ़िलिस्तीनियों के अपने मामलों पर अधिकार से टकराएँगे।
समूहों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सभी मानवीय सहायता गतिविधियाँ संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में मौजूद ‘‘अधिकृत फ़िलिस्तीनी संस्थाओं’’ के माध्यम से संचालित हों, जिनकी नींव फ़िलिस्तीनी स्वायत्तता और स्थानीय जनता की आवश्यकताओं के सम्मान पर आधारित है। उन्होंने चेताया कि यदि मदद को विदेशी तंत्र के माध्यम से पहुँचाया गया तो सहायता-प्रक्रिया राजनीतिक दबाव का साधन बन जाएगी, फ़िलिस्तीनी संस्थाएँ कमजोर होंगी और संयुक्त राष्ट्र की फ़िलिस्तीनी शरणार्थी एजेंसी (UNRWA) की भूमिका प्रभावित होगी। बयान में UNRWA को फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के अविच्छेद्य अधिकारों का अंतरराष्ट्रीय साक्षी बताते हुए उसके संरक्षण पर बल दिया गया।
समूहों ने ग़ाज़ा में हथियारों में कमी, या इज़रायल के क़ब्ज़े के विरुद्ध फ़िलिस्तीनियों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य प्रतिरोध-अधिकार से संबंधित किसी भी धारणा को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया। बयान के अनुसार हथियारों से जुड़ा कोई भी विषय ‘‘पूर्णतः राष्ट्रीय मामला’’ है और इसे ऐसे राजनीतिक प्रक्रिया से जोड़ा जाना चाहिए जो इज़रायली क़ब्ज़े की समाप्ति और स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना तक पहुँचे।
बयान में प्रस्तावित बहुराष्ट्रीय बल की भूमिका की भी तीखी आलोचना की गई। समूहों ने कहा कि ऐसी सैन्य शक्ति, यदि तेल अवीव के साथ प्रत्यक्ष संपर्क रखेगी, तो ‘‘वास्तव में इज़रायली कब्ज़े की ही सेवा करेगी’’। उन्होंने कहा कि यदि कोई अंतरराष्ट्रीय मिशन बनाया ही जाए, तो वह पूरी तरह संयुक्त राष्ट्र की प्राधिकृति के अधीन हो, केवल फ़िलिस्तीनी सरकारी संस्थाओं के साथ समन्वय करे और उसका कार्यक्षेत्र नागरिकों की रक्षा, सहायता उपलब्ध कराना और सैन्य बलों को अलग रखना तक सीमित हो, उसके पास कोई सुरक्षा-अधिकार या उच्च प्रशासनिक शक्तियाँ न हों।
समूहों ने ग़ाज़ा में किसी भी प्रकार की विदेशी सैन्य उपस्थिति, ट्रस्टी-शिप या अंतरराष्ट्रीय अड्ढों को पूर्णतः अस्वीकार करते हुए इन्हें फ़िलिस्तीनी स्वायत्तता पर प्रत्यक्ष आघात बताया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से माँग की कि वह इज़रायल को उसकी सतत उल्लंघनों के लिए उत्तरदायी ठहराए, जिनमें नागरिकों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी और ग़ाज़ा क्रॉसिंग्स पर इज़रायली नियंत्रण के कारण उत्पन्न गंभीर मानवीय संकट भी शामिल है। बयान के अंत में कहा गया कि ग़ाज़ा के प्रबंधन के लिए अरब-इस्लामी ढाँचा ही सबसे उपयुक्त मॉडल है। इस प्रस्ताव के अनुसार हमास ग़ाज़ा का प्रबंधन स्वतंत्र विशेषज्ञों पर आधारित एक अंतरिम फिलिस्तीनी प्रशासनिक समिति को सौंपेगी।
यह वक्तव्य ऐसे समय में आया है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ग़ाज़ा योजना के दूसरे चरण पर मतदान करने वाली है, जिसमें ग़ाज़ा में अंतरराष्ट्रीय बल की तैनाती और फ़िलिस्तीनी राज्य के गठन का प्रारूप शामिल है। ग़ाज़ा युद्ध-विराम समझौता 10 अक्टूबर को मिस्र, क़तर, अमेरिका और तुर्की की मध्यस्थता से हुआ था, लेकिन इज़रायल के लगातार उल्लंघनों ने इस समझौते के दूसरे चरण – यानी सुरक्षा, प्रशासनिक व्यवस्थाएँ और इज़रायली वापसी – की प्रगति को रोक रखा है।


popular post
चिली: राष्ट्रपति चुनाव में अति-दक्षिणपंथी जोस एंटोनियो कास्ट राष्ट्रपति निर्वाचित
चिली: राष्ट्रपति चुनाव में अति-दक्षिणपंथी जोस एंटोनियो कास्ट राष्ट्रपति निर्वाचित चिली के मतदाताओं ने रविवार
संयुक्त अरब अमीरात ने इस्राईली नागरिकों को वीज़ा देना किया शुरू
कुछ दिनों पहले इस्राईल के साथ अपने संबंधों को सार्वजनिक कर कई समझौते पर हस्ताक्षर
4 दिसंबर भारतीय नौसेना दिवस
4 दिसंबर भारतीय नौसेना दिवस हर देश किसी न किसी तारीख़ को नौसेना दिवस मनाया
कल से शुरू होगी टी-20 सीरीज, जानिए कितने बजे खेला जाएगा मैच
भारतीय टीम फ़िलहाल अपने ऑस्टेलिया के दौरे पर है जहाँ पर अब तक एकदिवसीय सीरीज़
कुछ हफ़्तों में मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन आने की उम्मीद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
कोरोना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह एक सर्वदलीय बैठक की. पीएम मोदी ने
महाराष्ट्र में बीजेपी को विधान परिषद चुनाव में लगा तगड़ा झटका, सिर्फ एक सीट पर मिल सकी जीत
महाराष्ट्र में बीजेपी को विधान परिषद चुनाव में तगड़ा झटका लगा है. विधान परिषद की
5वें दौर की बैठक: किसानों का दो टूक जवाब हम सरकार से चर्चा नहीं, बल्कि ठोस जवाब चाहते हैं वो भी लिखित में,
कृषि कानूनों को लेकर पिछले 9 दिनों से धरने पर बैठे किसानों के साथ केंद्र
रूस की नसीहत, वेस्ट बैंक में एकपक्षीय कार्रवाई से बचे इस्राईल
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने मेडिटरेनीयन डायलॉग्स बैठक को संबोधित करते हुए कहा