ग़ाज़ा युद्ध-विराम के रास्ते में नेतन्याहू का नया अड़ंगा
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने आज (शनिवार) दोपहर एक बड़ा बयान जारी किया, जिसमें हाल ही में 4 इज़रायली सैनिकों की रिहाई के बाद “अरिएल यहूद” नामक एक और इज़रायली बंदी की रिहाई की मांग की गई। नेतन्याहू के कार्यालय ने साफ कर दिया है कि जब तक अरिएल यहूद की रिहाई के लिए उचित इंतजाम नहीं हो जाते, ग़ाज़ा के निवासियों को उत्तरी क्षेत्रों में लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब आज ही 4 इज़रायली सैनिकों को कैदियों के आदान-प्रदान के तहत रिहा किया गया है। यह मांग सीधे-सीधे फिलिस्तीनी गुटों पर दबाव बनाने के लिए की गई है ताकि वे अगले चरण में भी इज़रायली कैदियों को रिहा करने पर मजबूर हो जाएं।
हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अल-जज़ीरा को बताया कि उन्होंने मध्यस्थों को सूचित कर दिया है कि अरिएल यहूद जिंदा है और उनकी रिहाई अगले शनिवार को कर दी जाएगी। यह बयान इज़रायल की मांगों के जवाब में फिलिस्तीनी गुटों का संतुलित रुख दिखाता है।
हालांकि, इज़रायली मीडिया अरिएल यहूद को एक आम नागरिक बता रही है, लेकिन फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद आंदोलन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस दावे को खारिज करते हुए अल-जज़ीरा से कहा कि अरिएल यहूद इज़रायल की सेना के अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक प्रशिक्षित सैनिक है। इस बयान ने इज़रायल के इस दावे पर सवाल खड़ा कर दिया है कि, उनके बंदी केवल निर्दोष नागरिक हैं।
हमास के सैन्य विंग, क़तायब इज़्ज़द्दीन अल-क़स्साम ने आज दोपहर, कैदियों की अदला-बदली के दूसरे चरण के तहत 4 इज़रायली बंदियों को अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस को सौंपा। इस कदम के बाद अब यह उम्मीद की जा रही है कि तेल अवीव अगले कुछ घंटों में इन 4 इज़रायली बंदियों की रिहाई के बदले में दर्जनों फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा।
विश्लेषकों का मानना है कि इज़रायल की यह नई शर्त ग़ाज़ा में जारी संघर्ष को और जटिल बना सकती है। नेतन्याहू की मांग न केवल मानवीय प्रयासों को प्रभावित कर रही है, बल्कि इससे ग़ाज़ा के निवासियों की स्थिति भी और खराब हो सकती है। यह स्थिति युद्ध-विराम के प्रयासों को कमजोर करने के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक नई चुनौती पेश करती है।