सुअर की चर्बी से बनने वाली वैक्सीन को इस्तेमाल कर सकते हैं मुसलमान: यूएई फतवा काउंसिल

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की सर्वोच्च इस्लामिक फतवा काउंसिल ने साफ़ किया है कि अगर कोरोना वायरस की वैक्सीन में सुअर से बनने वाला जिलेटिन भी हो तो भी सभी मुसलमान उसका इस्तेमाल कर सकते हैं.

न्यूज एजेंसी एसोसिएट प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, काउंसिल के चेयरमैन शेख अब्दुल्ला बिन बय्या ने ने कहा: हमारे पास इस वैक्सीन के अलावा कोई और वैक्सीन नहीं है इस लिए इस्लाम में सुअर को लेकर लगाए गए प्रतिबंध लागू नहीं होंगे.

कई मुस्लिम देशों में कोरोना की वैक्सीन को लेकर ऐसी चिंताएं जाहिर की जा रही हैं. अक्टूबर महीने में इंडोनेशिया के कुछ डिप्लोमैट और मुस्लिम स्कॉलर्स चीन में एक प्लेन से अचानक उतर गए. मुस्लिम स्कॉलर्स की चिंता थी कि इस्लामिक कानून के तहत कोरोना की वैक्सीन लगवाने की इजाजत नहीं है.

पोर्क से मिलने वाला जिलेटिन का इस्तेमाल वैक्सीन को स्टोरेज और एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के दौरान सुरक्षित और प्रभावी रखने के लिए किया जाता है.

हालांकि, दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है. साल 2018 में, इंडोनेशिया उलेमा काउंसिल ने कहा था कि चेचक और रूबेला वैक्सीन में जिलेटिन मौजूद है इसलिए ये हराम हैं. धार्मिक नेताओं ने इसके बाद अभिभावकों से बच्चों को वैक्सीन ना लगाने की अपील करनी शुरू कर दी थी. हालांकि, काउंसिल ने बाद में वैक्सीन लगवाने की इजाजत दे दी थी.

आपको बता दें यहूदियों के यहाँ भी पोर्क खाने पर प्रतिबंध है लेकिन ये केवल प्राकृतिक रूप से सेवन को लेकर है. कुछ संगठनों का कहना है कि अगर आपके शरीर में इसे इंजेक्ट किया जाता है तो फिर इसमें कोई समस्या नहीं है, खासकर जब ये कोरोना जैसी महामारी के नियंत्रण को लेकर है.

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