शहीद कासिम सुलेमानी, जिनकी शहादत ने दुनिया को हिला कर रख दिया
जनरल कासिम सुलेमानी की शहादत को कवर करने में अधिकांश विश्व मीडिया का सामान्य बिंदु यह था कि इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह सैयद अली खामेनेई के बाद ईरान के दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति की हत्या ने इस क्षेत्र और दुनिया को हिला कर रख दिया है। 3 जनवरी, 2020 की सुबह, इराकी राज्य टेलीविजन ने घोषणा की कि बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक अमेरिकी आतंकवादी हमले में IRGC कुद्स फोर्स के कमांडर सरदार “क़ासिम सुलैमानी” और “अबू महदी अल-मुहंदिस” शहीद कर दिए गए।
IRGC कुद्स फ़ोर्स के कमांडर की शहादत की शुरुआती खबर प्रकाशित होने के एक घंटे बाद, अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक बयान जारी कर औपचारिक रूप से सुलैमानी और अबू महदी अल-मुहंदिस की हत्या की जिम्मेदारी ली। उनकी हत्या का आदेश तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने दिया था। शहीद क़ासिम सुलैमानी की हत्या का आदेश देना या उनकी हत्या करना शायद अमेरिकी प्रशासन की ऐतिहासिक ग़लती थी जिसका पछतावा आज भी ट्रम्प को होगा। पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाने के लिए ट्रम्प ने जो सपना देखा था वो क़ासिम सुलैमानी की शहादत की चिंगारी से राख का ढेर बन गया।
शायद उन्हें पता ही नहीं था कि ज़िंदा क़ासिम सुलैमानी से ज़्यादा ख़तरनाक शहीद क़ासिम सुलैमानी बन जाएंगे। सरदार सुलेमानी की शहादत की खबर ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया और यह दु:खद खबर कुछ ही घंटों में इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियां बन गई, और इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय और वैश्विक मीडिया के वरिष्ठ अधिकारियों में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया। जनरल कासिम सुलैमानी की शहादत को कवर करने में अधिकांश विश्व मीडिया का सामान्य बिंदु यह था कि इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई के बाद ईरान के दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति की हत्या ने इस क्षेत्र और दुनिया को हिला कर रख दिया है। अमेरिका को इस आतंकी हरकत के जवाब का इंतजार करना चाहिए।
क़ासिम सुलैमानी के जनाज़े में उनके चाहने वालों की संख्या पूरी दुनियाँ में चर्चा का केंद्र बन गयी और लोग ये कहने पर मजबूर हो गए कि ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता स्वर्गीय आयतुल्लाह रूहुल्लाह ख़ुमैनी के बाद यह किसी भी शहीद के जनाज़े में सबसे बड़ी संख्या है! शहीद क़ासिम सुलैमानी की नमाज़े जनाज़ा ने भी पूरी दुनिया की मीडिया का ध्यान उस वक़्त अपनी तरफ खींचा जब इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता सैयद अली ख़ामेनेई ने उनकी नमाज़ा जनाज़ा पढ़ी और उनकी आँखों से आंसू के क़तरे टपकने लगे।
हिंदी न्यूज़ पेपर अमर उजाला के प्रथम पेज की हेड लाइंस थी कि “क़ासिम सुलैमानी के जनाज़े में ख़ामेनेई की आँखों से जो टपका वह आँसू नहीं अंगारा था।’ अमेरिकी समाचार नेटवर्क ने जनरल सुलेमानी की शहादत की घोषणा करने के लिए अपने नियमित कार्यक्रम को बाधित कर दिया, और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के कमांडर की शहादत की घोषणा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कासिम सुलैमानी की शहादत के इस क्षेत्र के लिए कई निहितार्थ हैं।
सेवानिवृत्त अमेरिकी जनरल एलिजाबेथ कॉब्स ने न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए एक लेख में सुलैमानी की हत्या को “सरासर मूर्खता” बताया और कहा कि कुद्स फोर्स कमांडर की हत्या में अमेरिकी आतंकवादी कृत्य अपमानजनक और बेतुका था। सेवानिवृत्त अमेरिकी जनरल ने ट्रंप प्रशासन द्वारा जनरल सुलैमानी की हत्या के काल्पनिक कारणों का खंडन करते हुए कहा कि कुद्स कमांडर की शहादत से अमेरिका को कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि इस शहादत ने यह दिखाया कि वाशिंगटन के पास अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए कोई विशेष रणनीति नहीं है।
लॉस एंजिल्स टाइम्स की रिपोर्ट में लिखा गया कि शहीद सुलैमानी की हत्या ट्रंप का सबसे बड़ा जुआ था और वहीं वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि शहीद सुलैमानी के लिए लंबे समय से अमेरिका में योजना बनाई गई थी। ब्रिटिश अखबार “गार्जियन” ने सरदार सुलेमानी की शहादत की खबर को कवर करते हुए उन्हें उनकी बुद्धिमता के कारण पूरी दुनिया में एक प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में उल्लेख किया।
कनाडाई अखबार “ग्लोब एंड मेल”, जिसने सरदार सुलैमानी को एक प्रतिभा के रूप में वर्णित किया, ने उनकी शहादत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि चार दशकों तक दुश्मन के दबाव के खिलाफ राष्ट्रीय प्रतिरोध में सरदार सुलेमानी ईरानी जनता के एक लोकप्रिय कमांडर थे। उनकी शहादत से ईरान ने अपना सबसे बड़ा समर्थक और युद्ध प्रतिभा खो दिया।
एक प्रमुख मुद्दा जिसे अधिकांश पश्चिमी मीडिया द्वारा कवर किया गया था, वह यह था कि कासिम सुलैमानी की शहादत अमेरिकी आतंकवादी हमले का परिणाम थी। अटलांटिक अखबार ने अपनी रिपोर्ट के एक हिस्से में सरदार सुलैमानी की शहादत के नतीजों का जिक्र करते हुए लिखा कि सुलैमानी ने ईरान और अरब साझेदारों के बीच गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाई।
जनरल सुलैमानी की शहादत की खबर दुनिया में इतनी चर्चित थी कि उस समय की और वर्तमान ज़ायोनी सरकार के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, जो यूनान की यात्रा पर गए थे, यात्रा छोड़कर कब्जे वाले फ़िलिस्तीन वापस चले गए। ज़ायोनी अखबार “यरुशलम पोस्ट” ने भी जनरल सुलैमानी की शहादत की ख़बर के जवाब में लिखा था कि क़ुद्स कमांडर की शहादत के बाद अमरीका और ज़ायोनी सरकार ईरान की प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रही है।
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