फ़िलिस्तीनी बच्चों में कुपोषण की समस्या में गंभीर इज़ाफ़ा: यूनिसेफ

फ़िलिस्तीनी बच्चों में कुपोषण की समस्या में गंभीर इज़ाफ़ा: यूनिसेफ

फ़िलिस्तीनी बच्चों में कुपोषण ख़तरनाक स्तर तक पहुँच चुका है। संयुक्त राष्ट्र के बाल कोष (यूनिसेफ) का अनुमान है कि इस समय फ़िलिस्तीन में लगभग 26 हज़ार बच्चों को गंभीर कुपोषण के इलाज की आवश्यकता है, जिनमें से 10 हज़ार का संबंध ग़ाज़ा शहर से है, जहाँ पिछले महीने के अंत में खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों ने अकाल की पुष्टि की थी।

सैन्य कार्रवाइयों की वजह से इस हफ्ते ग़ाज़ा शहर में भोजन आपूर्ति केंद्र बंद हो गए हैं। इससे कुपोषण के शिकार बच्चों से इलाज के मौके छिन गए हैं। हालांकि राहतकर्मी मौके पर मौजूद हैं और संकट से निपटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हर बमबारी और हर रुकावट के साथ यह काम और मुश्किल होता जा रहा है। यूनिसेफ ने कहा है कि ग़ाज़ा शहर पर इज़रायली बमबारी और ज़मीनी हमले तेज़ हो गए हैं, जहाँ से हज़ारों परिवारों को अपने भूखे बच्चों के साथ दक्षिणी इलाक़ों की ओर धकेला जा रहा है।

दक्षिण ग़ाज़ा में मौजूद यूनिसेफ की प्रवक्ता टेस इन्ग्राम ने कहा कि उत्तरी इलाक़ों से बड़े पैमाने पर पलायन के नतीजे में बेहद बदहाल लोगों की ज़िंदगी को घातक ख़तरों का सामना करना पड़ रहा है। 700 दिन तक लगातार युद्ध झेलने वाले 5 लाख बच्चों को एक से दूसरी बर्बाद जगह जाने के लिए कहना अमानवीय रवैया है। इज़रायली सेना ने ग़ाज़ा शहर के 10 लाख लोगों को इलाक़ा खाली करने का आदेश दिया है, जिसके बाद हज़ारों लोग पलायन कर रहे हैं। इसी दौरान इज़रायल ने निकासी के लिए रास्ते खोलने का ऐलान भी किया है।

राहत मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र के समन्वय कार्यालय (OCHA) के अनुसार पिछले कुछ दिनों में 70 हज़ार लोग दक्षिणी इलाक़ों की ओर गए हैं और पिछले एक महीने में 1 लाख 50 हज़ार लोग पलायन कर चुके हैं। ये सभी लोग एकमात्र उपलब्ध रास्ते “शाहरा-अर-राशिद” के ज़रिए सफर कर रहे हैं, जहाँ भीषण भीड़ है।

यूनिसेफ की प्रवक्ता टेस इन्ग्राम ने बताया कि उनकी मुलाक़ात एक ऐसी मां से हुई जो ग़ाज़ा शहर से अपने 5 बच्चों के साथ 6 घंटे पैदल चलकर दक्षिणी इलाके में पहुँची थी। ये सभी लोग मैले-कुचैले, प्यासे और भूखे थे, जबकि दो बच्चों के पैरों में जूते भी नहीं थे। उन्हें हज़ारों लोगों के साथ “अल-मवासी” और आसपास के तथाकथित सुरक्षित इलाकों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जहाँ हालात पहले ही खराब हैं।

टेस इन्ग्राम ने कहा कि ग़ज़ा शहर से निकलने वाले लोग बेहद निराशाजनक हालात में दक्षिणी ग़ाज़ा पहुँच रहे हैं। यह जगह अस्थायी टेंटों का समंदर बन चुकी है, जहाँ बुनियादी सुविधाएँ लगभग न के बराबर हैं, जबकि वहाँ पहले से ही लाखों लोग मौजूद हैं।

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