असद सरकार के पतन से ईरान कमजोर हुआ, यह एक ग़लत धारणा है: ज़रीफ़
ईरान के राष्ट्रपति के रणनीतिक सलाहकार मुहम्मद जवाद ज़रीफ, ने जोर देकर कहा: “जो लोग यह मानते हैं कि असद सरकार के पतन से ईरान कमजोर हो गया है, वे इस गलत धारणा पर आधारित हैं कि प्रतिरोध ईरान की प्रॉक्सी शक्ति है। प्रतिरोध न तो ईरान द्वारा स्थापित किया गया है और न ही इसकी निरंतरता ईरान पर निर्भर है। प्रतिरोध का कारण इज़रायली कब्ज़ा और उसके अत्याचार हैं। यह प्रतिरोध क्रांति से पहले भी था। ईरान इस स्वदेशी जन आंदोलन का समर्थन करता है।”
प्रतिरोध ने कभी ईरान के लिए एक प्रॉक्सी शक्ति के रूप में कार्य नहीं किया
इतिहास बताता है कि प्रतिरोध ने कभी ईरान के उद्देश्य के लिए एक प्रॉक्सी शक्ति के रूप में कार्य नहीं किया है, बल्कि उसने अपने राष्ट्रीय उद्देश्यों को ही पूरा किया है। उदाहरण स्वरूप, 7 अक्टूबर को किए गए ऑपरेशन का ईरान से कोई लेना-देना नहीं था वहीं “ऑपरेशन सादिक़1” और “ऑपरेशन सादिक़ 2” प्रतिरोध समूह की तरफ़ से नहीं किए गए थे, बल्कि ईरान ने अंजाम दिया था।
असद सरकार के पतन का का कारण समावेशी सरकार बनाने में चूक थी
बशार अल-असद के पतन का कारण, सशस्त्र समूहों पर जीत के बाद उनका घमंड और सैन्य विजय को राजनीतिक समझौते में बदलने में असफलता थी, साथ ही एक समावेशी सरकार बनाने में चूक। उनका पतन इतनी तेजी से हुआ कि इसे कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता था। सैन्य विजय अस्थायी होती है। इतिहास यह दिखाता है कि अगर यह एक राजनीतिक समझौते की ओर नहीं बढ़ती, तो यह हार की शुरुआत हो सकती है; नागोर्नो-काराबाख़ का उदाहरण इस वास्तविकता को दिखाने के लिए एक अच्छा उदाहरण है।
ईरान अपनी रक्षा करने में सक्षम
ईरान एक शक्तिशाली देश है वह अपनी रक्षा करने में सक्षम है। वह अपनी रक्षा में किसी पर निर्भर नहीं है। हमारी आलोचना हमें ईरान की संप्रभुता की रक्षा की इस बड़ी उपलब्धि की अहमियत से ध्यान भटकने का कारण नहीं बननी चाहिए। आज इस उपलब्धि पर निर्माण करने और आगे बढ़ने का समय है। हमें अब धमकी पर आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता नहीं है। हमें अपनी समस्याओं के प्रति जागरूक रहते हुए, एक अवसर-आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। हमें अपने लोगों, विदेश में रहने वाले ईरानियों, क्षेत्र और दुनिया के साथ आत्मविश्वास के साथ कदम उठाने चाहिए ताकि हम विकास, समृद्धि और क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग में प्रगति कर सकें।
वर्तमान में सीरिया की स्थिति अस्थिर और तरल है और केवल एक समावेशी सरकार जो सभी सीरियाई लोगों और उनके पवित्र स्थानों का सम्मान करेगी, शांति स्थापित कर सकती है।आईएसआईएस और आतंकवाद का खतरा अभी भी मौजूद है और सभी को इसके प्रति संवेदनशील और समन्वित होना चाहिए। एकता का अर्थ केवल शासन के भीतर सहानुभूति पैदा करना नहीं है, बल्कि इसका मतलब है कि जनता की आवाज़ को सुना जाए, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने चुनावों में भाग नहीं लिया।