दमिश्क़ के अल-मज़्ज़ा हवाई अड्डे पर इज़रायल का दूसरा हवाई हमला
दमिश्क़ में स्थित अल-मज़्ज़ा सैन्य हवाई अड्डे को एक बार फिर इज़रायली हवाई हमलों का निशाना बनाया गया है। स्थानीय चश्मदीद गवाहों के अनुसार, हमले के बाद दमिश्क के आकाश में इज़रायली लड़ाकू विमानों और ड्रोन की उड़ानें देखी गईं, जिससे क्षेत्र में भय और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
इज़रायली हमलों में बढ़ोतरी और सीरिया पर असर
दिसंबर 2024 में बशर अल-असद की सरकार गिरने के बाद, सीरिया में उत्पन्न राजनीतिक और सैन्य अस्थिरता का लाभ उठाकर ज़ायोनी शासन ने सीरियाई सैन्य ठिकानों पर हमलों की गति तेज कर दी। इज़रायल ने इस अवसर का उपयोग करते हुए सीरियाई सेना की कमजोरी और अराजकता का फायदा उठाया और विभिन्न सामरिक ठिकानों को नष्ट किया।
इज़रायली वायु सेना ने अल-मज़्ज़ा सैन्य हवाई अड्डे को विशेष रूप से निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप हवाई अड्डे में तैनात सीरियाई सेना के सभी हेलीकॉप्टर और सैन्य विमान पूरी तरह से नष्ट हो गए। इस हमले ने सीरियाई सेना की वायु शक्ति को और भी कमजोर कर दिया, जिससे देश की सैन्य क्षमताओं को भारी नुकसान हुआ।
गोलान क्षेत्र और ‘विच्छेद’ समझौते का अंत
सीरियाई संकट और बशर अल-असद सरकार के पतन के साथ ही, इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने 1974 में सीरिया और इज़रायल के बीच हुए ‘विच्छेद’ (Separation of Forces Agreement) समझौते को समाप्त करने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के तुरंत बाद, इज़रायल ने सीरिया के दक्षिणी क्षेत्रों में ज़मीनी हमले शुरू किए और सैन्य ठिकानों, मिसाइल प्रणाली और रणनीतिक लक्ष्यों को निशाना बनाकर बमबारी की।
इज़रायली हमलों में अब तक 250 से अधिक सैन्य लक्ष्यों को नष्ट किया जा चुका है, जिनमें लड़ाकू विमान, सैन्य ठिकाने, रडार स्टेशन और मिसाइल सिस्टम शामिल हैं। इस कार्रवाई के पीछे इज़रायल की मंशा न केवल सीरियाई सैन्य शक्ति को कमजोर करना है, बल्कि क्षेत्र में अपनी रणनीतिक पकड़ को और मजबूत करना भी है।
सीरिया में भविष्य की स्थिति और बढ़ते खतरे
इन हमलों के बाद, सीरिया में सुरक्षा स्थिति और अधिक खराब होती जा रही है। बशर अल-असद सरकार के गिरने के बाद से देश में सत्ता का कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी नहीं है, जिससे राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है। इज़रायली हमलों और क्षेत्रीय हस्तक्षेपों के कारण, सीरिया में गृहयुद्ध और बाहरी आक्रामकता की संभावना बढ़ गई है।
वहीं, इस हमले के बाद प्रतिरोध समूहों की प्रतिक्रिया भी देखने को मिल सकती है। हिज़्बुल्लाह और अन्य प्रतिरोधी गुटों ने पहले भी इज़राइली हमलों के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिससे पूरे क्षेत्र में संघर्ष और अधिक भड़क सकता है। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इज़रायली हमलों और सीरिया में बढ़ती हिंसा पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन अब तक इस संकट को हल करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है।


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