इज़रायली सैनिक ने हमास की क़ैद में मिले मानवीय व्यवहार की प्रशंसा की

इज़रायली सैनिक ने हमास की क़ैद में मिले मानवीय व्यवहार की प्रशंसा की

हमास की कैद से रिहा हुए एक इज़रायली सैनिक ने अपनी कैद के दिनों के बारे में ऐसे खुलासे किए हैं, जो आमतौर पर युद्धबंदियों के साथ होने वाले व्यवहार की धारणा से बिल्कुल अलग हैं।

फारस न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इज़राइली सैनिक मेतान इंगरस्ट (Metan Engrest) ने अपनी रिहाई के बाद पहली बार हिब्रू चैनल 13 से बातचीत में बताया कि उसने अपने अपहरणकर्ताओं से “तेफ़िलीन” (यहूदी प्रार्थना के दौरान माथे पर बाँधी जाने वाली चमड़े की डिबिया), “सिद्दूर” (प्रार्थना-पुस्तक) और “तोरा” (धार्मिक ग्रंथ) की माँग की थी।

इंगरस्ट ने कहा कि हमास ने ये वस्तुएँ उन स्थानों से लाकर दीं जहाँ इज़रायली सेना पहले मौजूद थी। उसने बताया कि, वह रोज़ तीन बार भूमिगत सुरंगों में प्रार्थना करता था और कई बार इज़रायल की हवाई बमबारी से चमत्कारिक रूप से बच गया, जब हमले उन्हीं ठिकानों पर हुए जहाँ उसे रखा गया था।

यह बयान उसके पिता ने भी पहले हिब्रू मीडिया को दिए थे। इंगरस्ट वही सैनिक है जिसका हमास ने कैद के दौरान एक वीडियो जारी किया था। उस वीडियो में उसने अपनी और अन्य बंदियों की रिहाई के लिए गंभीर प्रयास करने की अपील की थी। उसने कहा था कि आज़ादी का एकमात्र रास्ता क़ैदी अदला-बदली समझौते और वार्ता के दूसरे चरण से होकर जाता है। उसने ट्रंप, इज़रायली सेना के अधिकारियों और नेतन्याहू सरकार से गुहार लगाई थी कि वे सभी बंदियों को “जिंदा” घर लाने की पूरी कोशिश करें।

हमास कई बार दोहरा चुका था कि, वह सभी बंदियों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, लेकिन इज़रायल की अंधाधुंध बमबारी उनके जीवन को ख़तरे में डाल रही है। अनादोलू एजेंसी ने लिखा कि इस इज़रायली सैनिक के बयान, उन रिपोर्टों से बिल्कुल विपरीत हैं जिनमें बताया गया है कि इज़रायली जेलों में फ़िलिस्तीनी बंदियों को यातना, मेडिकल लापरवाही और अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ता है।

सोमवार से अब तक हमास ने 20 इज़रायली बंदियों को ज़िंदा रिहा किया है और बुधवार शाम तक 10 अन्य के शव इज़रायल को सौंपे हैं। इस संगठन ने कहा है कि बाकी शवों को निकालने में समय लगेगा। इसके बदले इज़रायल ने 250 फ़िलिस्तीनी कैदियों, जिन्हें उम्रकैद की सज़ा थी, को रिहा किया है और साथ ही 1,718 अन्य लोगों को भी छोड़ा है जिन्हें 8 अक्टूबर 2023 के बाद ग़ाज़ा से गिरफ़्तार किया गया था।

फिर भी 10,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी, जिनमें महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं, अभी भी इज़रायली जेलों में क़ैद हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, उनमें से कई को यातनाएँ दी जा रही हैं, भूखा रखा जा रहा है, और इलाज से वंचित किया जा रहा है, जिसकी वजह से कई लोगों की मौत हो चुकी है।

अमेरिका के समर्थन से, इज़रायल ने अक्टूबर 2023 से लेकर अब तक दो सालों में ग़ाज़ा पर लगातार हमले किए हैं, जिनमें 67,913 फ़िलिस्तीनी शहीद हुए और 1,70,134 लोग घायल हुए हैं — जिनमें अधिकतर महिलाएँ और बच्चे हैं। भूख और कुपोषण से अब तक 463 लोगों, जिनमें 157 बच्चे शामिल हैं, की मौत हो चुकी है।

यह पहली बार नहीं है जब हमास के “मानवीय व्यवहार” की बात हिब्रू मीडिया में आई हो। 2023 में नवंबर से दिसंबर तक चली पहली युद्ध-विराम अवधि के दौरान भी, जब हमास ने कुछ इज़रायली बंदियों को छोड़ा था, तब मीडिया और जनता ने उनके साथ किए गए व्यवहार पर ध्यान दिया था।

उस समय की रिपोर्टों और बंदियों की गवाही के मुताबिक, हमास ने उन्हें भोजन, दवाइयाँ और साफ-सफाई की सुविधाएँ दीं, और हरसंभव कोशिश की कि उनके साथ सम्मानजनक और मानवीय व्यवहार किया जाए। कई बंदियों ने यहाँ तक कहा कि युद्ध के माहौल में भी हमास ने उनकी इंसानी गरिमा को बनाए रखने की कोशिश की।

इन नए बयानों और पुराने उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि हमास ने इज़रायली बंदियों के साथ वैसा व्यवहार नहीं किया जैसा कि इज़रायल, फ़िलिस्तीनी कैदियों के साथ अपनी जेलों में करता है।

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