इज़रायली सेना ने दीर अल बलह से पीछे हटने की पुष्टि की

इज़रायली सेना ने दीर अल बलह से पीछे हटने की पुष्टि की

ग़ाज़ा पट्टी में जारी युद्ध के बीच बुधवार सुबह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया, जब इज़रायली सेना ने दीर अल बलह से अपनी सैन्य कार्रवाई समाप्त करने की घोषणा की। इज़रायली सेना के रेडियो द्वारा जारी बयान के अनुसार, सेना ने ग़ाज़ा पट्टी के मध्य स्थित इस शहर से पीछे हटने का फैसला किया है। हालांकि, एक वरिष्ठ इज़रायली सैन्य अधिकारी ने यह भी संकेत दिया कि यह वापसी स्थायी नहीं है, और भविष्य में दुबारा सैन्य अभियान चलाया जा सकता है।

ज़मीनी हमले की पृष्ठभूमि
दो दिन पहले इज़रायली सेना ने दीर अल बलह में एक ज़मीनी हमले की शुरुआत की थी, जिसे अब तक के सबसे आक्रामक प्रयासों में से एक माना गया। इस हमले के दौरान, ग़ाज़ा के दक्षिण-मध्य इलाके में भारी गोलीबारी, हवाई हमले और ज़मीनी बलों की घुसपैठ देखी गई। रूसिया अल-यौम के अनुसार, इज़रायली हेलीकॉप्टरों ने दीर अल बलह के दक्षिणी हिस्से में मशीनगनों से हमला किया, जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया।

हमास का जवाबी हमला
इधर, फ़िलस्तीनी प्रतिरोध संगठन हमास के सैन्य विंग ‘कतायब अल-क़स्साम’ ने दावा किया कि उन्होंने दीर अल बलह के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में एक इज़रायली मर्कवा टैंक और एक बख्तरबंद वाहन को ‘यासीन 105’ रॉकेट से निशाना बनाया है। यह हमला इस बात का संकेत है कि हमास अब भी ग़ाज़ा के मध्य हिस्से में सशस्त्र और संगठित रूप से मौजूद है और इज़रायली सेना को कड़ी चुनौती दे रहा है।

नागरिकों का हाल और मानवीय संकट
इज़रायली सेना द्वारा जिस क्षेत्र में हमले किए गए, वहां पहले से ही बड़ी संख्या में आंतरिक रूप से विस्थापित फ़िलस्तीनी नागरिक मौजूद थे। अल-हदस चैनल के अनुसार, जिन इलाकों में सेना ने नागरिकों को खाली करने की चेतावनी दी थी, वे पहले से ही शरणार्थी शिविरों से भरे हुए थे। इसने मानवीय संकट को और गहरा कर दिया है, क्योंकि जिन लोगों ने उत्तरी ग़ाज़ा से भागकर मध्य भाग में शरण ली थी, वे अब फिर से विस्थापन और जान के खतरे का सामना कर रहे हैं।

दीर अल बलह पर हमला: एक नया मोड़
ग़ाज़ा युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक इज़रायली सेना का फोकस मुख्य रूप से ग़ाज़ा सिटी, खान यूनुस और रफ़ा जैसे क्षेत्रों पर रहा है। दीर अल बलह पर यह ज़मीनी हमला पहला था, और इसका उद्देश्य संभवतः हमास के ठिकानों को खत्म करना और सुरंग नेटवर्क को ध्वस्त करना था। लेकिन ‘कान’ (इज़रायली हिब्रू चैनल) की रिपोर्ट के अनुसार, पहले दीर अल बलह और पास के शरणार्थी कैंपों पर इसलिए कोई बड़ा हमला नहीं किया गया था क्योंकि वहाँ मौजूद इज़रायली बंधकों की सुरक्षा को लेकर चिंता थी।

इज़रायली सेना का पीछे हटना क्या कहता है?
इज़रायली सेना का अचानक पीछे हटना कई संकेत देता है:

संभवतः प्रतिरोध बलों से कड़ी टक्कर मिली।
स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय दबाव ने सेना को रणनीति बदलने पर मजबूर किया।
मानवीय संकट की भयावह तस्वीरें वैश्विक स्तर पर आलोचना का कारण बन रही थीं।
या फिर यह सिर्फ एक “रणनीतिक अस्थायी वापसी” है, जैसा कि इज़रायली सेना ने संकेत दिया है।

दीर अल बलह से इज़रायली सेना की वापसी एक अस्थायी राहत जरूर दे सकती है, लेकिन यह ग़ाज़ा में युद्ध की समाप्ति का संकेत नहीं है। उल्टा, यह इशारा हो सकता है कि आने वाले दिनों में ग़ाज़ा के अन्य मध्यवर्ती इलाकों में और भी ज्यादा सैन्य हमले देखे जा सकते हैं। वहीं, हमास और अन्य प्रतिरोध समूहों की सक्रियता यह स्पष्ट कर रही है कि संघर्ष लंबा चल सकता है, और इसका सबसे बड़ा खामियाजा आम फ़िलस्तीनी जनता को भुगतना पड़ रहा है।

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