इज़रायल ग़ाज़ा में फ़िलिस्तीनियों की नस्लकुशी कर रहा: संयुक्त राष्ट्र
इज़रायल, ग़ाज़ा में फ़िलिस्तीनियों की नस्लकुशी कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के ‘कमीशन ऑफ़ इन्क्वायरी’ की जाँच में भी इसकी पुष्टि हो गई है। ग़ाज़ा पर पिछले 22 महीनों से जारी इज़रायली हमलों को संयुक्त राष्ट्र के इसी “कमीशन ऑफ़ इन्क्वायरी” ने अपनी लंबी जाँच के बाद ‘नस्लकुशी’ क़रार दिया है।
कमीशन ने इसका सीधा ज़िम्मेदार इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अन्य उच्च अधिकारियों को ठहराया है। यह स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय कमीशन (सीओआई), जो सीधे संयुक्त राष्ट्र का प्रतिनिधित्व नहीं करता और जिस पर इज़रायल ने कड़ी आलोचना की है, ने अपनी रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर हत्याओं, राहत और सहायता रोकने, जबरन विस्थापन और ग़ाज़ा में प्रसूति केंद्रों पर हमलों को ‘नस्लकुशी’ के सबूत के तौर पर पेश किया है।
ग़ाज़ा में इज़रायली हमलों में अब तक 65 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं। युद्ध शुरू होने के दो साल बाद ग़ाज़ा में मानवाधिकारों की स्थिति पर पेश की गई रिपोर्ट में कमीशन की अध्यक्ष नवी पिल्लै ने कहा कि “ग़ाज़ा में नस्लकुशी हो रही है और यह सिलसिला बिना रुके जारी है।” पिल्लै, जो संयुक्त राष्ट्र की पूर्व मानवाधिकार उच्चायुक्त रह चुकी हैं, ने रिपोर्ट में कहा कि “इन अत्याचारों की ज़िम्मेदारी सीधे इज़रायली उच्च अधिकारियों पर है, जिन्होंने लगभग दो साल से एक योजनाबद्ध नस्लकुशी अभियान छेड़ रखा है। इसका साफ़ उद्देश्य ग़ाज़ा में फ़िलिस्तीनी जनता को मिटा देना है।”
सच्चाई उजागर होने पर इज़रायल के विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया और इस कमीशन को ही समाप्त करने की माँग की। यह रिपोर्ट उस समय जारी की गई है जब इज़रायल ने ग़ाज़ा शहर पर हफ़्तों की बमबारी के बाद ज़मीनी कार्रवाई शुरू की है।
72 पन्नों पर आधारित यह रिपोर्ट अब तक ग़ाज़ा पर इज़रायली अत्याचारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र की सबसे सख़्त रिपोर्ट मानी जा रही है। कमीशन ने कहा कि इज़रायली अधिकारियों के बयानों और सेना की कार्रवाई की निरंतरता यह दिखाती है कि यह सब फ़िलिस्तीनी जनता को नष्ट करने की नीयत से किया जा रहा है। सबूत के तौर पर नेतन्याहू का एक पत्र भी शामिल किया गया है, जो उन्होंने नवंबर 2023 में सैनिकों को लिखा था। इसमें उन्होंने गाज़ा ऑपरेशन की तुलना बाइबिल में वर्णित “पूरी तरह सफ़ाया करने वाली पवित्र जंग” से की थी।
नस्लकुशी कन्वेंशन 1948 के मुताबिक अगर पाँच में से कोई एक भी कारक मौजूद हो तो उसे ‘नस्लकुशी’ कहा जा सकता है।
ग़ाज़ा पर इज़रायली हमलों में इनमें से चार कारक स्पष्ट रूप से मौजूद हैं:
1- एक ही नस्लीय समूह के लोगों की हत्या करना।
2- उन्हें गंभीर शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुँचाना।
3- उनके लिए ऐसे हालात पैदा करना जिनसे उनकी तबाही निश्चित हो।
4- बच्चों के जन्म रोकने के लिए उपाय करना।
5- किसी समूह के बच्चों को जबरन किसी और समूह को सौंप देना।
नोट: ग़ाज़ा पर इज़रायली हमलों में शुरुआती चारों कारक मौजूद पाए गए हैं।


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