ग़ाज़ा में मानवीय सहायता के लिए इज़रायल को 4 दिन की मोहलत: अंसारुल्लाह
यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के नेता सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अल-हूती ने हालिया फिलिस्तीनी घटनाओं और इज़रायली नीतियों पर प्रतिक्रिया देते हुए ज़ोर दिया कि इस पर स्पष्ट रुख अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने ग़ाज़ा समझौते को लागू करने में ज़ायोनी शासन की भूमिका की आलोचना करते हुए कहा, “यह साफ था कि दुश्मन इज़रायल अपने वादों को पूरा करने में टालमटोल कर रहा है, खासकर मानवीय मामलों से जुड़े मुद्दों में।”
अल-हूती ने आगे कहा, “हमारे भाई हमास के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन ने अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पूरी तरह निभाया, और यह बात साफ दिखाई देती है।” अंसारुल्लाह नेता ने इज़रायल पर आरोप लगाया कि उसने पहले ही मानवीय प्रतिबद्धताओं के क्रियान्वयन में कोताही की और समझौते में तय किए गए वादों को कम करने का प्रयास किया। उनके अनुसार, इस शासन ने न केवल समझौते से पीछे हटने की कोशिश की, बल्कि मात्रात्मक और गुणात्मक रूप से भी इसे कमजोर किया।
अल-हूती ने ग़ाज़ा समझौते में इज़रायल की रुकावटों का ज़िक्र करते हुए कहा, “दुश्मन ने घायलों और बीमारों को इलाज के लिए बाहर भेजने और रफ़ाह मोर्चे से पीछे हटने के अपने वादों को तोड़ दिया है।” उन्होंने चेतावनी दी कि इज़रायली शासन जनसंहार की अपनी नीति पर लौटना चाहता है और लोगों को भुखमरी में धकेलकर उन्हें खत्म करने का प्रयास कर रहा है, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है।
अल-हूती ने आगे कहा कि इज़रायली शासन और अमेरिका जानबूझकर तनाव बढ़ाने का रास्ता अपना रहे हैं, और वेस्ट बैंक व क़ुद्स में बढ़ती हिंसा इस बात का संकेत है कि वे किसी भी शांति प्रक्रिया से कोसों दूर हैं। उन्होंने कहा, “दुश्मन की उकसाने वाली नीतियों में दर्जनों घरों को तोड़ना, हजारों लोगों को बेघर करना, वेस्ट बैंक की मस्जिदों को तबाह करना और अल-खलील में मस्जिद इब्राहीमी पर अभूतपूर्व दबाव डालना शामिल है।”
उन्होंने यह भी कहा कि ज़ायोनी शासन का मकसद वेस्ट बैंक से पूरी तरह फिलिस्तीनियों की उपस्थिति खत्म करना और इस क्षेत्र को यहूदी बस्तियों में तब्दील करना है। अल-हूती ने रमज़ान के पवित्र महीने में अल-अक़्सा मस्जिद में नमाज़ियों के प्रवेश पर सख्ती और अवैध बस्तियों के विस्तार की ओर इशारा करते हुए कहा, “ज़ायोनी शासन हर संभव तरीके से फिलिस्तीनियों को उनकी ज़मीन से निकालने और इस्लामी पहचान को बदलने की कोशिश कर रहा है।”
उन्होंने अरब देशों के रुख पर भी टिप्पणी करते हुए कहा, “अरब नेताओं द्वारा जारी किया गया बयान केवल कुछ इच्छाओं और मांगों तक सीमित था, जिसका फिलिस्तीनियों के लिए कोई लाभ नहीं है।”
अंसारुल्लाह नेता ने इज़रायल के अत्याचारों के खिलाफ जिहाद की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा, “हम रमज़ान के महीने में हैं, जो तक़वा और ईश्वर-भक्ति का महीना है; लेकिन सवाल यह है कि ईश्वर के आदेशों का पालन करने और पीड़ितों की मदद करने में तक़वा कहां है?”
उन्होंने ग़ाज़ा की कड़ी नाकाबंदी और मानवीय सहायता की रोकथाम का ज़िक्र करते हुए कहा, “हम इस स्थिति को देखकर हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकते और दुश्मन की बर्बरता को देखते नहीं रह सकते। इज़रायली शासन ने एक बार फिर ग़ाज़ा के लोगों को भुखमरी की नीति के तहत निशाना बनाना शुरू कर दिया है, और यह पूरी तरह अस्वीकार्य है।”
अल-हूती ने घोषणा की कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों के लिए एक चार दिन की समय सीमा निर्धारित की है ताकि वे अपने प्रयासों को किसी नतीजे तक पहुंचा सकें। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सीमा पार करने के रास्ते बंद रहते हैं और ग़ाज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने से रोका जाता है, तो यमनी बलों द्वारा समुद्री अभियान फिर से शुरू किया जाएगा।