ईरान द्वारा आईएईए प्रमुख ग्रोसी की गिरफ़्तारी की मांग अनुचित: अमेरिका
अमेरिका के विदेश मंत्री ने ईरान में राफाएल ग्रोसी (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक) की पक्षपाती रिपोर्ट और ईरान पर हमले के लिए इज़रायल-अमेरिका को दिए गए बहाने के खिलाफ उठी आवाज़ों की आलोचना की और इन प्रतिक्रियाओं की निंदा की मांग की।
ईरना के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शनिवार को कहा कि “ईरान में राफाएल ग्रोसी की गिरफ्तारी की मांग अस्वीकार्य है और इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए।” उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि अमेरिका आईएईए की जांच और निगरानी प्रयासों का समर्थन करता है और ग्रोसी की प्रतिबद्धता व पेशेवरिता की सराहना करता है। उन्होंने ईरान से आईएईए कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील भी की।
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने इज़रायल के ईरान पर हमले के बाद ग्रोसी को संबोधित करते हुए लिखा: “आपकी रिपोर्ट पूरी तरह पक्षपाती थी, जिसे अमेरिका और तीन यूरोपीय देशों ने ईरान के खिलाफ निंदात्मक प्रस्ताव लाने में इस्तेमाल किया। उसी प्रस्ताव को इज़रायल ने ईरान पर गैरकानूनी हमला करने के लिए बहाने के रूप में अपनाया।” उन्होंने सवाल किया कि क्या ग्रोसी को संयुक्त राष्ट्र की किसी संस्था में नेतृत्व की जिम्मेदारी ऐसे व्यवहार के साथ दी जानी चाहिए, जबकि उनकी रिपोर्ट ने निर्दोष ईरानियों की जान ली है?
पूर्व विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने भी ग्रोसी की रिपोर्ट को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि, इसे इज़रायल ने निर्दोषों की हत्या के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल किया। उन्होंने ग्रोसी की बर्खास्तगी की मांग करते हुए हैशटैग #DismissGrossi का उपयोग किया।
23 जून को इज़रायल ने अंतरराष्ट्रीय कानून और ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन करते हुए तेहरान और अन्य शहरों में ईरान के परमाणु स्थलों पर सैन्य हमला किया, जिसमें कई वैज्ञानिक, सैनिक और नागरिक शहीद हुए। इसके जवाब में, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह खमेनेई ने सख्त सज़ा की चेतावनी दी थी और कहा था कि, दुश्मन को ईरानी सेना बख्शेगी नहीं।
1 जुलाई को अमेरिका ने ईरान के फोर्दो, नतांज़ और इस्फहान स्थित परमाणु स्थलों पर हमला किया और इस तरह इज़रायल के युद्ध में शामिल हो गया। 2 जुलाई को ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने ‘या अबा अब्दिल्लाहिल हुसैन (अ.)’ के नारे के साथ अमेरिका के सबसे बड़े सैन्य अड्डे “अल-उदीद, क़तर” पर मिसाइल हमला किया। इस हमले के बाद अमेरिका पूरी तरह बैकफुट पर आ गया और इज़रायल को बचाने के लिए सीज़फायर का प्रस्ताव पेश कर दिया।
अंततः 3 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान और इज़रायल के बीच युद्धविराम की घोषणा की, जिस पर ईरान ने कहा कि वह युद्ध की शुरुआत नहीं करना चाहता, लेकिन अगर इज़रायल हमले रोक देता है, तो ईरान भी जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा।


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