ईरानी राजदूत ने अल-जूलानी को समर्थन देने की अमेरिकी शर्तों का खुलासा किया
लेबनान में ईरानी राजदूत मुजतबा अमानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में, सीरिया के नए शासकों को समर्थन देने के लिए अमेरिका की शर्तों का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि अमेरिका के प्रतिनिधि और सीरियाई विद्रोहियों के नेता अबू मोहम्मद अल-जूलानी की मुलाकात के बाद, वॉशिंगटन ने यह शर्त रखी कि सीरिया की नई सरकार यदि अमेरिका के साथ अच्छे संबंध चाहती है, तो उसे ईरान को कोई भूमिका नहीं देनी होगी।
अमानी ने कहा, “मैंने देखा कि 2011 से 2013 के बीच, उन्होंने मुस्लिम ब्रदरहुड को भी इसी तरह की सलाह देने पर जोर दिया था और यही शर्त मोहम्मद मोरसी (मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति) के लिए भी रखी थी।” उन्होंने लिखा, “जब अमेरिका ने मोहम्मद मोरसी को अकेला पाया, तो उसने सोचा, उनको धोखा देने का सही समय आ गया, और जो होना था, वह हुआ।”
शुक्रवार को अमेरिकी सरकार ने घोषणा की कि उसने सीरियाई विद्रोहियों के नेता अबू मोहम्मद अल-जूलानी की गिरफ्तारी पर घोषित 10 मिलियन डॉलर के इनाम को रद्द करने का फैसला किया है। जिस अमेरिका ने सीरिया विद्रोह से पहले तक जूलानी को आतंकवादी घोषित कर रखा था और उस पर 10 मिलियन डॉलर इनाम रखा था, उसने खुद ही उस इनाम को रद्द कर दिया है।
आतंकवाद पर अमेरिका का दोहरा चरित्र
यह आतंकवाद पर अमेरिका का दोहरा चरित्र है, जो यह साबित करता है कि, अमेरिका की आतंकवद के विरुद्ध लड़ाई केवल एक दिखावा है। वर्ना अमेरिका जूलानी से सौदेबाज़ी क्यों कर रहा है? क्या सीरिया में असद सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह करने से जूलानी की सारी आतंकी गतिविधियां समाप्त गईं? क्या जूलानी का विद्रोह केवल अमेरिका और इज़रायल को फायदा पहुँचाने के लिए था ?
यह घोषणा, अमेरिका की वरिष्ठ राजनयिक बारबरा लीफ और अबू मोहम्मद अल-जूलानी (अहमद अल-शराअ) की मुलाकात के बाद की गई। यह अमेरिका का सीरिया में बशार अल-असद शासन के पतन के बाद पहला राजनयिक हस्तक्षेप है। सीरिया के भविष्य में ईरान की भूमिका पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में, अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री ने दमिश्क में अल-जूलानी के साथ बैठक के कुछ घंटे बाद कहा, “अगर मुझे निर्णय देना हो, तो ईरान की कोई भूमिका नहीं होगी और नहीं होनी चाहिए।”