ईरान कभी भी यूरेनियम संवर्धन को नहीं रोकेगा: अराक़ची
ईरान के वरिष्ठ परमाणु वार्ताकार और विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची ने एक बार फिर अमेरिका और इज़राईल को दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है कि ईरान अपने संवैधानिक परमाणु अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा, और यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया किसी भी हाल में बंद नहीं की जाएगी। उन्होंने यह बयान अमेरिकी न्यूज़ चैनल NBC को दिए एक विशेष इंटरव्यू में दिया।
अराक़ची ने कहा, “ईरान कभी भी अपने संवर्धन कार्यक्रम को पूरी तरह रोकने पर सहमत नहीं होगा। ये हमारा वैध और संप्रभु अधिकार है।” उन्होंने अमेरिका पर गहरा अविश्वास जताते हुए कहा कि वाशिंगटन ने बार-बार कूटनीति की पीठ में छुरा घोंपा है और अब ईरान को समझ नहीं आ रहा कि कैसे उस पर फिर से भरोसा किया जाए।
इस बातचीत में उन्होंने इज़राईल पर भी गंभीर आरोप लगाए और कहा कि जब तक इज़राईल, ईरान के खिलाफ आक्रामक कार्रवाइयों को नहीं रोकता, तब तक अमेरिका और ईरान के बीच किसी भी गंभीर बातचीत की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने यह भी इशारा किया कि अमेरिका और इज़राईल के पास कोई छिपी हुई योजना हो सकती है, जिसमें बातचीत को केवल दिखावे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा हो।
जब NBC एंकर ने पूछा कि क्या कूटनीति आने वाले दो हफ्तों में कोई समाधान ला सकती है, तो अराक़ची ने कहा, “यह अमेरिका की नीयत पर निर्भर करता है। अगर वो वास्तव में समाधान चाहता है, तो रास्ता खुला है। लेकिन अगर उनके दिमाग़ में युद्ध और हमले की योजना है, तो हम उसके लिए भी तैयार हैं।”
अराक़ची के अनुसार, ईरान किसी भी प्रकार की दमनकारी शर्तों को स्वीकार नहीं करेगा, और उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण होने के बावजूद राष्ट्रीय सुरक्षा और गरिमा से जुड़ा है। उन्होंने चेतावनी दी कि ईरान को धमकाकर कोई समाधान नहीं निकलेगा, बल्कि इससे क्षेत्र में और अधिक अस्थिरता पैदा होगी।
एनबीसी को दिए गए इंटरव्यू में ईरानी विदेश मंत्री के बयान की प्रमुख बातें:
1- ईरान के वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि जब तक इज़राइल की ओर से हमले जारी हैं, तब तक अमेरिका से किसी भी बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है।
2- मैं पहले भी बार-बार कह चुका हूँ कि ईरान में यूरेनियम संवर्धन (enrichment) को पूरी तरह से समाप्त करना नामुमकिन है।
3- (अमेरिकी अधिकारी) वेटकॉफ़ एक जेंटलमैन हैं और उनसे काम लिया जा सकता है, लेकिन वे बार-बार अपनी बात बदलते हैं। शायद इसकी वजह यह है कि वे उन वादों को निभाने में असमर्थ रहे जो उन्होंने हमसे किए थे।
4- हमारे बीच अब अविश्वास की स्थिति है, क्योंकि उन्होंने उन बातों को लागू नहीं किया जो हमें कहा गया था कि किया जा सकता है।
5- हम कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संदेशों का आदान-प्रदान कर रहे हैं ताकि गलतफहमियों से बचा जा सके और अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकें।
6- लेकिन यह कोई “बातचीत” नहीं है – वे हमसे कहते हैं कि हम बातचीत करें, लेकिन हम तब बात करेंगे जब बातचीत वास्तव में हो, न कि सिर्फ उनकी शर्तों को मानने की बात हो।
7- कल्पना कीजिए कि अगर वे हमारी एक-दो परमाणु सुविधाओं को नष्ट कर दें, तो भी हम उन्हें फिर से बना सकते हैं, क्योंकि हमारे पास उसका ज्ञान और तकनीक मौजूद है। बमबारी से विज्ञान और तकनीक खत्म नहीं होती।
8- जंग में दोनों पक्ष एक-दूसरे पर हमला करते हैं, यह बात समझने वाली है।
9- आत्मरक्षा हर देश का वैध अधिकार है। अगर अमेरिका इज़राइल के साथ आ खड़ा होता है, तो हम भी वैसा ही जवाब देंगे।
10- हमारे दुश्मन कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि हमारे नेता (आयतुल्लाह ख़ामेनेई) के लाखों समर्थक हैं – न सिर्फ़ ईरान में बल्कि पूरी दुनिया में।
11- मैं ट्रंप की बातों को धमकी नहीं बल्कि अपमान मानता हूँ। यह हैरान करने वाली बात है कि एक तथाकथित महाशक्ति का राष्ट्रपति इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करता है, जबकि हमने हमेशा उनके बारे में सम्मानपूर्वक ही बात की है।
यह बयान उस समय आया है जब पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है और इज़राईल लगातार ईरान पर साइबर हमलों और सीमित सैन्य हमलों के आरोपों में घिरा हुआ है। अराक़ची की यह टिप्पणी ईरान की उस नीति को दोहराती है जिसमें वह अपनी स्वतंत्रता, वैज्ञानिक प्रगति और प्रतिरोध से किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटने वाला है।


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