ईरान पर दोबारा हमला हुआ तो, क्षेत्रीय युद्ध का नक़्शा बदल जाएगा: आईआरजीसी
इस्लामिक रेवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के जनसंपर्क प्रमुख और प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल अली मोहम्मद नाइनी ने चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में ईरान पर फिर से हमला किया गया, तो ईरान की जवाबी कार्रवाई पहले से कहीं अधिक विनाशकारी होगी और यह पूरे क्षेत्र के युद्ध की भौगोलिक संरचना को बदल कर रख देगी।
एक शहीदों की श्रद्धांजलि सभा में उन्होंने कहा, “अगर दुबारा हमला हुआ, तो उसका जवाब इतना ज़्यादा तबाह करने वाला होगा कि युद्ध का नक्शा ही बदल जाएगा। जनरल नाइनी ने बताया कि ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-3 को ज़ायोनिस्ट शासन की 13 जून से शुरू हुई उकसावे वाली आक्रामकता के जवाब में अंजाम दिया गया।
उन्होंने कहा, “ईरान ने अकेले ही पश्चिमी ताकतों की सम्मिलित सैन्य दबाव का सामना किया। यह सिर्फ ईरान और इज़रायल के बीच की लड़ाई नहीं थी, बल्कि ईरान और पश्चिमी गठबंधन के बीच की जंग थी, जो तेल-अवीव के पर्दे के पीछे से लड़ी जा रही थी।”
ईरानी मिसाइलों और ड्रोन द्वारा की गई ऐतिहासिक जवाबी कार्रवाई के दौरान, क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में हुई तबाही को इज़रायली शासन और पश्चिमी मीडिया ने मिलकर जानबूझकर छुपाया। सैन्य सेंसरशिप और मीडिया की चुप्पी के जरिए इज़रायल की रणनीतिक विफलता को ढका गया।
अमेरिका स्थित CTP-ISW कंसोर्टियम के अनुसार, ईरान ने इस ऑपरेशन में 543 बैलिस्टिक मिसाइलें और 1,000 से अधिक ड्रोन दागे — यह ईरान का अब तक का सबसे बड़ा हमला था। इज़रायली सेना ने भी 500–550 मिसाइलों की पुष्टि की है।
IRGC के अनुसार कुल 3,000 से अधिक प्रोजेक्टाइल, जिनमें मिसाइलें, ड्रोन और क्रूज़ मिसाइलें शामिल थीं, दागे गए। हालांकि अमेरिका और इज़रायल ने सार्वजनिक रूप से अपनी सफलताओं का दावा किया, लेकिन युद्ध के बाद के आंकड़े बताते हैं कि इज़रायल की रक्षा प्रणाली बुरी तरह नाकाम रही।
Fox News ने पुष्टि की कि ईरानी मिसाइलों ने सीधे तेल-अवीव स्थित किरिया मिलिट्री हेडक्वार्टर को निशाना बनाया। Oregon State University द्वारा किए गए सैटेलाइट विश्लेषण में इज़रायल की पांच छुपाई गई सैन्य साइटों पर छह सटीक हमलों का पता चला।
Haaretz के अनुसार, 10 हमले ऐसे थे जिन्हें इज़रायल ने स्वीकार ही नहीं किया, जबकि उसने सिर्फ 36 हमलों की बात कही थी। कई नागरिक इलाकों में हताहतों की वजह इज़रायली इंटरसेप्टर मिसाइलों का मलबा था, जो खुद उनके ही ऊपर गिरा। शुरू में इज़रायल ने 90–95% इंटरसेप्शन का दावा किया, लेकिन The Telegraph ने सातवें दिन बताया कि कम से कम 16% मिसाइलें उनके सिस्टम से बच निकलीं।
इस दौरान विदेशी पत्रकारों को रोका गया, कैमरे ज़ब्त किए गए और मीडिया पर भारी सेंसरशिप लगाई गई ताकि ज़मीनी हकीकत दुनिया से छुपाई जा सके। IRGC ने साबित किया कि उसकी मिसाइल प्रणाली पश्चिमी दुनिया की महंगी डिफेंस टेक्नोलॉजी को भेदने में सक्षम है। कम लागत में भारी प्रभाव वाला यह मॉडल इज़रायल के तथाकथित सैन्य वर्चस्व को मानसिक रूप से तोड़ने में भी सफल रहा।
अंत में जनरल नाइनी ने चेतावनी दी:
“ये तो हमारे सामर्थ्य का सिर्फ एक छोटा हिस्सा था। अगर हमें फिर से युद्ध में धकेला गया, तो अगला चरण पहले जैसा नहीं होगा। टकराव का नक्शा भी बदलेगा — और इसके नतीजे भी।”


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