हिज़्बुल्लाह का हथियार, घरेलू मामला है: नबिह बरी
लेबनानी पार्लियामेंट अध्यक्ष नबिह बरी ने सुरक्षा परिषद के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात में जोर देकर कहा कि, हिज़्बुल्लाह का हथियार एक आंतरिक मामला है और आग के बीच में बातचीत न तो संभव है और न ही परिणामदायक। बरी ने सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के एक लंबे सत्र में मुलाकात की। यह प्रतिनिधिमंडल लेबनान के तीन शीर्ष अधिकारियों से युद्धवर्ती हालात और संघर्ष-विराम के कार्यान्वयन की प्रगति के बारे में जानकारी लेने आया था।
लेबनानी मीडिया के अनुसार, बरी ने इस मुलाकात में कहा:
लेबनान ने संघर्ष-विराम के निर्णय के कार्यान्वयन के आरंभ से ही सभी मांगों का पूरी तरह पालन किया है, जबकि इज़रायल बमबारी, आक्रमण और लेबनानी नागरिकों को गिरफ्तार करने के माध्यम से अपना एकतरफा युद्ध जारी रखे हुए है।” उन्होंने आगे कहा: “वे चाहते हैं कि हम आग के बीच में बातचीत करें, और यह किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।” लेबनानी अखबार अल-बिनाअ ने लिखा कि प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्य बरी से हिज़्बुल्लाह के हथियारों के बारे में पूछे, और उन्होंने जवाब दिया कि यह एक आंतरिक मुद्दा है।
इसके बाद उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से सवाल किया:
“आप कहते हैं कि आप यहाँ निर्णय 1701 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए हैं; तो आप इज़रायल को इसे लागू करने के लिए क्या कर रहे हैं? निर्णय को कैसे लागू किया जा सकता है जब आप अंतरराष्ट्रीय बलों के दक्षिणी मिशन को खत्म करना चाहते हैं? यह विरोधाभास कैसे सुलझाया जाएगा?”
उन्होंने कहा कि असली स्थिरता तभी आएगी जब इज़रायल को रोज़ाना उल्लंघनों को रोकने और लेबनान से पीछे हटने के लिए मजबूर किया जाएगा। बरी ने कहा: “आज की वास्तविकताएं यह मांग करती हैं कि, तुरंत संघर्ष-विराम लागू किया जाए और लेबनान के खिलाफ एकतरफा युद्ध रोक दिया जाए।” बरी ने अपने शब्दों को स्पष्ट चेतावनी के साथ यह कहते हुए समाप्त किया कि: “इज़रायल की आक्रामकता जारी रही तो युद्ध फिर भड़क जाएगा। आग के बीच में बातचीत न तो जायज़ है और न ही स्वीकार्य।”
लेबनान के राष्ट्रपति का नज़रिया
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने भी शुक्रवार को सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात में कहा, “लेबनान ने इज़रायल के साथ बातचीत का विकल्प चुना है ताकि नए हिंसा के दौर को रोका जा सके… लेबनान मानता है कि, युद्ध कभी सकारात्मक परिणाम नहीं दे सकते; केवल बातचीत ही स्थिरता और सुरक्षा का माहौल प्रदान कर सकती है, मौजूदा मुद्दों को सुलझा सकती है और जनता की पीड़ा को कम कर सकती है।”
उन्होंने दावा किया कि ये वार्ता अंतरराष्ट्रीय समुदाय की संतुष्टि के लिए नहीं है, बल्कि लेबनान के लाभ के लिए है। उन्होंने जोर देकर कहा: “यह निर्णय लिया जा चुका है और इसमें कोई पीछे हटना नहीं है। मैंने यह सभी अरब और विदेशी अधिकारियों को बताया है, जिनसे मैं मिला, जैसे कि न्यूयॉर्क में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो। हम इस रास्ते पर अडिग हैं।”
उन्होंने वार्ता के उद्देश्यों को इस प्रकार बताया: “ये वार्ताएँ मूलतः इज़रायल की लेबनान में शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों को रोकने, लेबनानी बंदियों को आज़ाद कराने, कब्जे वाले क्षेत्रों से पीछे हटने की योजना बनाने और नीली रेखा के विवादित बिंदुओं को सुधारने के लिए हैं।”उन्होंने कहा: “हमें आशा है कि ये वार्ताएँ सकारात्मक परिणाम देंगी, लेकिन इसकी सफलता बुनियादी रूप से इज़रायल के रुख पर निर्भर करेगी; कि क्या वार्ता व्यावहारिक परिणाम देती है या असफल हो जाती है।”
लेबनान संघर्ष-विराम
हिज़्बुल्लाह और इज़रायल के बीच संघर्ष-विराम का समझौता 27 नवंबर 2024 से लागू हुआ; यह उस समय से एक साल से अधिक समय बाद हुआ जब हिज़्बुल्लाह ने 8 अक्टूबर 2023 को “ग़ाज़ा सहायता मोर्चा” खोला था।
समझौते के अनुसार, इज़राइली सेना को 26 जनवरी 2025 तक दक्षिणी लेबनान के कब्ज़ाई क्षेत्रों से पीछे हट जाना था, लेकिन वह इस समय सीमा का पालन नहीं कर सका और पांच रणनीतिक बिंदुओं पर अपनी सैन्य मौजूदगी बनाए रखी, जिसे उसने “उत्तरी बस्तियों की सुरक्षा” के रूप में सही ठहराया। समझौते के बावजूद, इज़रायली सेना अब भी लेबनान में हमले कर रही है और दावा कर रही है कि ये हमले हिज़्बुल्लाह की “खतरा क्षमताओं” को नष्ट करने के लिए हैं।


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