ग़ाज़ा जीत गया; यह किसी अफसाने जैसा है: आयतुल्लाह ख़ामेनेई
इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई ने “पेशगामाने प्रगति” नामक राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्राइवेट सेक्टर के उत्पादकों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा: “हमने कहा था कि प्रतिरोध जिंदा है और जिंदा रहेगा। ग़ाज़ा जीत गया। प्रतिरोध ने साबित कर दिया कि वह जिंदा रहेगा। जो कुछ दुनिया के सामने हो रहा है, वह किसी अफसाने जैसा है।” ईरान के सुप्रीम लीडर ने कहा, ग़ाज़ा जीत गया; यह किसी अफसाने जैसा है; अगर हम ग़ज़ा की घटना इतिहास में पढ़ते, तो यक़ीन नहीं करते!
फ़िलिस्तीन का प्रतिरोध, इज़रायली शासन को पीछे हटने पर मजबूर कर रहा है
सुप्रीम लीडर ने आगे कहा: इस्लाम का सबसे ऊंचा झंडा फ़िलिस्तीन जनता और ग़ाज़ा के लोगों के हाथ में है।
“अगर हम यह घटना इतिहास में पढ़ते, तो शायद यक़ीन नहीं करते। यह कैसे मुमकिन है कि एक बड़ा युद्धतंत्र जैसे अमेरिका, एक ज़ालिम और खूनी शासन (जैसे इज़रायल ) की मदद करे। यह शासन इतना निर्दयी और क्रूर हो कि एक साल और कुछ महीनों में 15,000 बच्चों की हत्या से भी ना झिझके। अमेरिका इस शासन को बंकर-ध्वस्त करने वाले बम दे ताकि बच्चों के घर और अस्पतालों को बमबारी से तबाह किया जा सके।”
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने आगे कहा: “आज यह सब हमारी आंखों के सामने हुआ। अमेरिका ने इज़रायली शासन को अपनी पूरी ताकत दी। अगर ऐसा ना होता, तो यह शासन पहले हफ्तों में ही घुटने टेक देता। उन्होंने एक साल और तीन महीने में हर तरह का अपराध किया। अस्पताल, मस्जिद, चर्च, घर, बाज़ार, पब्लिक के इकट्ठा होने की जगहें – सब कुछ ग़ाज़ा जैसे छोटे से इलाके में तबाह कर दिया। इज़रायली नेता ने ऐलान किया था कि उनका मकसद हमास का खात्मा है।”
उन्होंने कहा: “लेकिन अब वही ज़ालिम इज़रायली शासन उसी हमास के साथ बातचीत की मेज पर बैठा है, जिसे वह खत्म करना चाहता था। उसने युद्ध-विराम को मान लिया। इसका मतलब है कि प्रतिरोध जिंदा है। यह अल्लाह की सुन्नत (प्रकृति) है। जहां भी प्रतिरोध होगा, अच्छे लोगों की जीत निश्चित है।”