सऊदी अरब के विदेश मंत्री तेहरान पहुंचे
फार्स न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान आज (शनिवार, 17 जून) आधिकारिक दौरे पर तेहरान पहुंचे। तेहरान में अल-मयादीन नेटवर्क के पत्रकार ने बिन फरहान के तेहरान आने की खबर प्रकाशित करने के बाद लिखा कि वह अपने ईरानी समकक्ष हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान से मिलने के लिए सीधे ईरान के विदेश मंत्रालय के मुख्यालय जा रहे हैं।
अल-अरबिया नेटवर्क ने लिखा कि बिन फरहान अपने ईरानी समकक्ष से मिलने के अलावा ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी से भी मुलाक़ात करेंगे। दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को फिर से शुरू करने पर सहमत होने के बाद ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों ने अब तक एक-दूसरे से दो बार मुलाकात की है।
सऊदी विदेश मंत्री तेहरान का दौरा कर रहे है। पिछले साल मार्च में “बीजिंग” शहर में कई दौर की गुप्त वार्ताओं से गुजरने के बाद, उन्होंने एक बयान जारी कर घोषणा की थी कि दोनों देशों के बीच आधिकारिक संबंध जल्द ही फिर से शुरू होंगे।
इस समझौते के बाद, ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों, हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान और बिन फ़रहान ने इस साल 16 अप्रैल को “बीजिंग” शहर में फिर से मुलाकात की और दोनों देशों के वाणिज्य दूतावासों को खोलने पर ज़ोर दिया था।
दोनों देशों के विदेशमंत्री की इन दो मुलाक़ातों में हुए समझौतों के कारण दोनों देशों के राजदूतों की नियुक्ति हुई, “रियाद” में ईरानी दूतावास और तेहरान में सऊदी दूतावास फिर से खुल गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों के बीच संबंध बहाली सही समय पर लिया गया, निर्णायक और सराहनीय क़दम है।
राजनीतिक विश्लेषक ईरान सऊदी संबंध बहाली को दोनों देशों की आगामी रणनीति के रूप में देख रहे हैं। क्योंकि दोनों देश पूरी दुनियां के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सऊदी अरब सुन्नी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है तो ईरान शिया समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है।
इस संबंध बहाली का असर सिर्फ़ ईरान सऊदी पर ही नहीं, बल्कि पूरी दुनियां के मुस्लिम देशों पर इसका असर देखने को मिल सकता है। यही कारण है कि इस्राईल को यह संबंध बहाली फूटी आंख नहीं भा रही। क्योंकि यह संबंध दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को काफ़ी मज़बूत कर सकता है।
यह संबंध बहाली केवल इस्राईल को ही नहीं अमेरिका को भी खटक रही है। क्योंकि अभी तक अपने दबदबे की वजह से तेल की क़ीमत अमेरिका तय करता था लेकिन इस संबंध बहाली के बाद तेल की क़ीमत बढ़ाने के लिए बिन सलमान ने अमेरिका के सामने झुकने के बजाय तेल उत्पादन कम करने का निर्णय लिया है।
इलेक्ट्रॉनिक समाचार पत्र “राय अल यौम ” ने लेबनानी राजनीतिक सूत्रों का हवाला देते हुए लिखा कि बिन फ़रहान, बादशाह सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ की तरफ़ से ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के लिए एक संदेश लाएं हैं जो दोनों देशों के विकास से संबंधित है।
इस समाचार ने आगे लिखा कि दोनों देशों के बीच संबंधों की समीक्षा करने के लिए बिन फ़रहान इस यात्रा के दौरान, ईरान के राष्ट्रपति के अलावा कई अन्य अधिकारियों से भी मिलेंगे। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरु आयतुल्लाह ख़ामेनेई से उनकी मुलाक़ात होगी या नहीं।