ग़ाज़ा पर कब्ज़े के बाद भी हमास को हराना नामुमकिन: इज़रायली सेना
इज़रायल की सेना के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ ने एक गुप्त बैठक में स्वीकार किया कि, प्रधानमंत्री नेतन्याहू की ओर से किसी स्पष्ट रणनीति के अभाव में सेना उलझन का शिकार है और यह भी कि ग़ाज़ा शहर पर पूरा क़ब्ज़ा करने के बाद भी हमास को न सैन्य और न ही राजनीतिक रूप से हराया जा सकता है।
इज़रायली चैनल 12 की रिपोर्ट के अनुसार, चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ “एयाल ज़मीर” ने रविवार को हुई इस बैठक में कहा कि ग़ाज़ा शहर में ज़मीनी कार्रवाई “किसी निर्णायक परिणाम” तक नहीं पहुँचेगी। उनका कहना था कि यह बयान वास्तविक हालात के अनुरूप सरकार की उम्मीदों को ढालने के लिए है।
उन्होंने आगे कहा कि, अंतिम नतीजा पाने के लिए ऑपरेशन को ग़ाज़ा पट्टी के अन्य इलाक़ों, ख़ासकर मध्यवर्ती शरणार्थी कैंपों तक बढ़ाना होगा। लेकिन ऐसा करने से इज़रायल को गंभीर नागरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिसे सेना स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
इज़रायली सुरक्षा संस्थाओं के आकलन के अनुसार, ग़ाज़ा पर पूरा नियंत्रण पाने में कई महीने लग सकते हैं और उसके बाद एक बड़े पैमाने पर “साफ़-सफ़ाई” अभियान चलाना होगा। इस बीच प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने रविवार को सुरक्षा बैठक में तय समय-सारणी के अनुसार ऑपरेशन शुरू करने पर ज़ोर दिया। लेकिन इस दौरान यह चिंता बढ़ रही है कि, ज़मीनी कार्रवाई से इज़रायली क़ैदियों की जान को ख़तरा हो सकता है।
चैनल 12 ने रिपोर्ट किया कि नेतन्याहू ने मंत्रियों और सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक में उस स्थिति के “संभावित परिदृश्यों” पर चर्चा की, अगर हमास क़ैदियों को नुक़सान पहुँचाता है या उनकी हत्या करता है। इस संदर्भ में कुछ “विशेष” जवाबी कार्रवाइयों पर भी विचार किया गया।
आधिकारिक चैनल “कान” ने बताया कि, नेतन्याहू ने तीन घंटे तक चली बैठक में कोशिश की कि ज़मीनी कार्रवाई के दौरान क़ैदियों को कोई नुक़सान न पहुँचे। लेकिन एक सुरक्षा अधिकारी ने चेतावनी दी कि, ऑपरेशन का विस्तार क़ैदियों की मौत का कारण बन सकता है।
अंदरूनी तनाव को और गहरा करते हुए, अख़बार यदीओथ आहरोनोथ ने चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ के हवाले से लिखा कि, नेतन्याहू ने ऑपरेशन के अगले चरण को लेकर कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिया है और सेना नहीं जानती कि, आगे किस चीज़ के लिए तैयार रहना है।
उन्होंने इस स्थिति को “पूरी तरह अनिश्चित” बताया और कहा कि “हम नहीं जानते कि ग़ाज़ा शहर पर कब्ज़े के बाद क्या होगा और आने वाले चरण कैसे होंगे।”
ज़मीर ने ग़ाज़ा में राहत वितरण केंद्र बढ़ाने के कैबिनेट के फ़ैसले की भी आलोचना की और कहा: “मैं नहीं समझता कि, बजट को 12 केंद्र बनाने पर क्यों खर्च किया गया जबकि 4 केंद्र वाली पिछली योजना ही असफल रही थी।”
उन्होंने चेतावनी दी कि, ग़ाज़ा शहर पर कब्ज़े की योजना गंभीर कमियों से घिरी हुई है, जिनमें शामिल हैं – सैनिकों और क़ैदियों की जान को ख़तरा, अंतरराष्ट्रीय वैधता का अभाव और नागरिकों को सुरक्षित निकालने में कठिनाई। उनके अनुसार यह ऑपरेशन अंततः ग़ाज़ा में सैन्य शासन की स्थापना की ओर ले जाएगा, जबकि सेना इसके लिए तैयार नहीं है।
वर्तमान में इज़रायली सेना ग़ाज़ा में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन में लगी है और क़ैदियों, नागरिकों और युद्ध के भविष्य को लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है। इज़रायली क़ैदियों के परिजनों और विपक्षी दलों ने नेतन्याहू पर आरोप लगाया है कि वे अपनी राजनीतिक कुर्सी बचाने और अतिवादी दक्षिणपंथी गठबंधन को खुश करने के लिए युद्ध-विराम प्रस्तावों को ठुकरा रहे हैं।
आकलनों के मुताबिक, ग़ाज़ा में 48 इज़रायली क़ैदी मौजूद हैं, जिनमें से केवल 20 के जीवित होने की पुष्टि है। इसके विपरीत, इज़रायल की जेलों में 10,800 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी बंद हैं, जिनमें से बहुत से लोग यातना, भूख और चिकित्सकीय उपेक्षा के शिकार हैं और कई की मौत हो चुकी है।
नेतन्याहू ने हिब्रू चैनल 13 से बातचीत में दावा किया: “हम सिर्फ़ हमास से नहीं लड़ रहे, बल्कि पूरे ईरानी धुरी से लड़ रहे हैं और इसके ढांचे को एक-एक करके तोड़ चुके हैं।” उन्होंने कहा कि “यह युद्ध क़ैदियों से भी जुड़ा है और इसे बहुत सावधानी से चलाना होगा।”
इज़रायली सेना ने 3 सितम्बर से “गिडेऑन वैगन्स 2” नामक ऑपरेशन शुरू किया है ताकि ग़ाज़ा शहर पर पूरा कब्ज़ा किया जा सके। यह योजना अमेरिका के समर्थन से 8 अगस्त को सरकार द्वारा मंज़ूर की गई थी।
7 अक्टूबर 2023 से अब तक, इज़रायल ने अमेरिका की मदद से ग़ाज़ा में नरसंहार किया है, जिसमें 64,871 फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं और 1,64,610 घायल हुए हैं। अधिकतर शिकार बच्चे और महिलाएँ हैं, जबकि लाखों लोग विस्थापित हो गए हैं। इसके अलावा अकाल ने 422 फ़िलिस्तीनियों की जान ले ली है, जिनमें 145 बच्चे शामिल हैं।


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