इराक, बारूदी सुरंग और जिंदा बमों का शिकार हो रहे हैं बच्चे

इराक, बारूदी सुरंग और जिंदा बमों का शिकार हो रहे हैं बच्चे

साम्राज्यवादी शक्तियों की साज़िशों का शिकार होकर जर्जर हो चुके इराक में बच्चों की जिंदगी पर बन आई है।

इराक में बारूदी सुरंग और जिंदा बमों का शिकार होकर अब तक 500 से अधिक बच्चों की मौत हुई है या घायल हो गए हैं ।

इराक में बारूदी सुरंगों और ना फटने वाले बमों का निशाना बच्चे बन रहे हैं। अब तक सैकड़ों बच्चे जान की बाजी हार चुके हैं जबकि बड़ी संख्या में घायल और अपाहिज हो चुके बच्चों का भविष्य भी अंधकार में डूब चुका है । संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 वर्षों में इराक में बारूदी सुरंगों और जिंदा रह चुके बमों के कारण कम से कम 519 बच्चे मारे गए हैं या घायल हुए हैं। यूनिसेफ ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि पीड़ित बच्चों में 80% लड़के हैं। यूनिसेफ ने यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अन्य संस्था माइन एक्शन सर्विस की मदद से तैयार की है।

हाल ही में जारी की गई यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि चाइल्ड लेबर की घटनाओं के कारण है पीड़ितों बच्चों में लड़कों की संख्या अधिक है। यहां भेड़ बकरियों को चराने या धातुओं को जमा करने का काम लड़के ही करते हैं। यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हालांकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान इराक में कोई सशस्त्र संघर्ष नहीं हुआ है लेकिन विस्फोटक हथियारों का प्रभाव आने वाले कुछ वर्षों तक भी देखने को मिलेगा। ह्यूमिनिटी एंड इंक्लूजन की एक रिपोर्ट के अनुसार इराक का गिनती दुनिया के उन देशों में होती है जहां विस्फोटक पदार्थों की संख्या सबसे अधिक है और यह देश विस्फोटक हथियारों से सबसे ज्यादा प्रभावित है।

एक अनुमान के अनुसार इराक के 3225 किलोमीटर पर क्षेत्र में ना फटने वाले बमों और विस्फोटक पदार्थों का खतरा अनुमान से कहीं अधिक है। इराक का 1245 स्क्वायर मील का क्षेत्रफल खतरनाक हद तक जिंदा बमों एवं बारूदी सुरंगों से भरा हुआ है। विशेषकर ईरान, कुवैत और सऊदी अरब के सीमा क्षेत्रों में यह विस्फोटक सुरंगे एवं जिंदा बम पाए जाते हैं। यह तमाम क्षेत्र वह हैं जहां पिछले 4 दशकों के दौरान इराक सशस्त्र संघर्ष में उलझा रहा है।

इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम के नेतृत्व में बगदाद ने 1980 से 88 तक ईरान पर हमला करते हुए जंग लड़ी। इसी प्रकार 1990 में पहला खाड़ी युद्ध हुआ जो 1990 में इराक द्वारा कुवैत पर हमले से शुरू हुआ फिर बाद में 2003 में अमेरिका ने इराक पर चढ़ाई की। अमेरिका के निकलने के बाद से अब तक इराक आतंकी संगठन आईएसआईएस से युद्ध में उलझा हुआ है। इस दौरान भी बारूदी सुरंग बिछाई गई।

इराक से अमेरिकी फौजों के निकल जाने के बाद 2014 से 17 तक इराक ने साम्राज्यवाद प्रायोजित आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के खिलाफ युद्ध लड़ता रहा है। यूनिसेफ और यूएनएमएएस ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए तमाम पक्षों से अपील की है कि वह बारूदी सुरंगों और ज़िंदा बमों समेत तमाम विस्फोटक पदार्थ को हटाने के लिए यथासंभव प्रयास करें और इन विस्फोटक पदार्थों को हटाने के अपने प्रयास और तेज कर दें।

इस संयक्त बयान में कहा गया है कि तमाम पक्ष बारूदी सुरंगों एवं विस्फोटक पदार्थों को हटाने तथा पीड़ित लोगों को सहायता पहुंचाने और एक सुरक्षित माहौल में जीने के मौलिक बाल अधिकारों का समर्थन करते हुए अपने प्रयास और तेज कर दें। बता दें कि इराक के अलावा सूडान और अफगानिस्तान भी ऐसे ही संकट का सामना कर रहे हैं। दुनिया के कम से कम 59 देशों में अबी भी बारूदी सुरंगों से भरे क्षेत्र मौजूद हैं।

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