इजरायल-हमास मुद्दे पर पहली बार बिन सलमान और रईसी की फ़ोन पर बातचीत
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 11 अक्टूबर को इज़रायल-हमास युद्ध पर चर्चा की। दोनों देशों के रिश्तों को देखते हुए ये बेहद अहम बातचीत है। दोनों ने फिलीस्तीन पर हो रहे ‘युद्ध अपराधों’ को खत्म करने को जरूरी बताया। ईरान के स्टेट मीडिया के मुताबिक, बातचीत के दौरान राष्ट्रपति रईसी और सऊदी क्राउन प्रिंस के बीच फिलिस्तीन के खिलाफ वॉर क्राइम रोकने पर सहमति बनी।
इससे पहले जून में 7 साल बाद ईरान ने सऊदी अरब में अपनी एम्बेसी खोली थी। मार्च में दोनों देशों ने ऐंबैसी खोलने को लेकर समझौता हुआ था। इसके तहत 2016 के बाद दोनों देश एक-दूसरे के मुल्क में अपनी-अपनी एम्बेसी फिर खोलने के लिए राजी हो गए थे। ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाहियान ने लेबनान की राजधानी बेरूत में इसकी जानकारी दी थी। दोनों देशों के बीच ये समझौता चीन ने कराया था।
मोहम्मद बिन सलमान ने कहा- सऊदी जंग को रुकवाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। हम इसके लिए सभी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय पार्टीज से बात कर रहे हैं। सऊदी अरब ने इस बात पर भी जोर दिया कि जंग में आम नागरिकों को टारगेट नहीं किया जाना चाहिए। वहीं इस फोन कॉल पर अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- हम हमास के खिलाफ जंग में इज़रायल के साथ हैं। इस बीच हम लगातार सऊदी अरब के लीडर्स के संपर्क में हैं।
इज़रायल और हमास के बीच युद्ध सातवें दिन भी जारी है। इजराइल ने भोजन और पानी पर प्रतिबंध सहित पहले से ही घिरी गाजा पट्टी की संपूर्ण नाकाबंदी कर दी है। वहीं, इज़रायली सेना ने दावा किया है कि उसने हमास के 1500 लड़ाकों को गाजा पट्टी पर मार गिराया है। रिपोर्ट के मुताबिक गाजा के पास लगभग 300,000 इज़रायली सैनिक जमा हैं और हमास के साथ युद्ध के लिए तैयार हो रहे हैं। इस जंग में अब तक करीब 1,200 इज़रायली नागरिकों की जान गई है। वहीं फिलिस्तीन के 1,128 लोग मारे गए हैं।
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच पहली बार फोन पर बात हुई है। दोनों ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर 45 मिनट तक बातचीत की। उन्होंने फिलिस्तीन में हुए घटनाक्रम पर मुस्लिम मुल्कों की एकता की बात की। ईरान और सऊदी अरब के बीच ये बातचीत इसलिए अहम है क्योंकि इस साल की शुरुआत तक मध्य पूर्व के ये दो देश कड़े प्रतिद्वंद्वी थे, दोनों के बीच राजनयिक रिश्ते तक नहीं थे लेकिन मार्च में चीन के प्रयास से दोनों देशों ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया।