ईरान पर इज़रायली हमलों की विफलता पर बौखलाया इज़रायली मीडिया
इज़रायली राजनीतिक और मीडिया हलकों ने हाल ही में ईरान पर किए गए हमले को “बेहद कमजोर,” “असफल” और “निष्प्रभावी” करार दिया है। उनका मानना है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यह हमला केवल राजनीतिक उद्देश्यों को साधने के लिए किया है। इज़रायल का प्रचार तंत्र जहां इस हमले को बड़ा और असरदार दिखाने की कोशिश कर रहा है, वहीं इज़रायली हलकों की प्रतिक्रियाएं इसके विपरीत हैं और यह दर्शाती हैं कि यह हमला न केवल कमजोर था, बल्कि नेतन्याहू और उनके रक्षा मंत्री योआव गैलेंटद्वारा 10 अक्टूबर को ‘वादा-ए-सादिक 2’ अभियान के बाद की गई धमकियों के स्तर तक भी नहीं पहुंच पाया है।
इज़रायली मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक, इस हमले के बाद इज़रायली राजनीतिक जगत, चाहे वह दाएं पंथ का हो या बाएं पंथ का, दोनों ओर से तीखी आलोचना हुई है। विपक्ष के नेता याईर लापिड ने इस हमले को लेकर कहा, “हमें ईरान से भारी कीमत वसूलनी चाहिए थी।” उनका मानना है कि इज़रायल ने ईरान के सामरिक और आर्थिक ठिकानों को निष्प्रभावी करने में गलती की है और पर्याप्त ताकत के साथ हमला नहीं किया।
‘इज़रायल हमारा घर’ पार्टी के प्रमुख अविगदोर लिबरमैन ने भी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, असली मुआवजा लेने की बजाय, सरकार केवल प्रचार और ध्यान आकर्षित करने की कोशिश में है।” वहीं, इज़रायल के कुछ मीडिया समूहों ने इस हमले को ‘बेकार’ करार दिया है, जबकि कुछ का मानना है कि “अरब दुनिया में लोग इज़रायल पर हंस रहे हैं और समय बताएगा कि सच्चाई क्या है।”
इज़रायली संसद ‘कनसेट’ की सदस्य और लिकुड पार्टी की नेता ‘टाली गोटलीब’ ने सोशल मीडिया पर लिखा, “ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला न करना भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बड़ी आपदा साबित होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि, “ईरान के तेल भंडार पर हमला न करना एक गंभीर गलती थी। ईरान ने हम पर मिसाइल दाग कर इज़रायल को अपंग कर दिया है, और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने से मध्य पूर्व में डर के संतुलन पर कोई फर्क नहीं पड़ता।”
इसी बीच, इज़रायल के वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सेना अधिकारी ‘रामी येत्सहार’ ने भी इस हमले को कमजोर बताते हुए कहा कि यह सिर्फ नेतन्याहू का एक राजनीतिक तिकड़म था ताकि वह अपने समर्थकों को दिखा सकें कि उन्होंने ईरान के खिलाफ कोई कदम उठाया है। उन्होंने कहा, “इस हमले का कोई सामरिक उद्देश्य नहीं था और इसे सिर्फ नेतन्याहू के मतदाताओं के लिए एक नाटक के रूप में अंजाम दिया गया।”
येत्सहार ने आगे कहा कि इस हमले में न तो ईरान के परमाणु ठिकानों, न सैन्य मुख्यालयों, न तेल प्रतिष्ठानों और न ही बंदरगाहों को निशाना बनाया गया, जो ईरान को कोई वास्तविक नुकसान पहुंचा सके। इज़रायली सेना ने आज सुबह यह घोषणा की कि उन्होंने ईरान के कुछ सैन्य ठिकानों पर हमला किया है, लेकिन दूसरी ओर, ईरान की वायु रक्षा प्रणाली ने ज्यादातर हमलों को विफल कर दिया।
इस हमले के बाद, अरब-भाषी सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने भी इज़रायल का मजाक उड़ाया। यमनी पत्रकार ‘अनीस मंसूर’ ने सोशल मीडिया पर लिखा, “इस हमले का एकमात्र उद्देश्य लोगों को सुबह की नमाज के लिए जगाना था।” मंसूर ने व्यंग्य करते हुए कहा, “एक महीने की धमकियां, एक हफ्ते की योजना लीक, और नतीजा सिर्फ पटाखे और गुब्बारे! इज़रायल खत्म हो चुका है और यह शासन विनाश की ओर बढ़ रहा है।”


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