बहरैन, राजनैतिक बंदियों की रिहाई के लिए मुहिम तेज़

बहरैन, राजनैतिक बंदियों की रिहाई के लिए मुहिम तेज़

बहरैन की आले खलीफा तानाशही के खिलाफ एक बार फिर राजनैतिक बंदियों की रिहाई की मांग लेकर मुहिम शुरू हो गई है.

बहरैन के सबसे बड़े राजनैतिक दल अल विफाक़ के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम अली सलमान की रिहाई की मांग को लेकर कल अरब जगत और विशेषकर बहरैन में सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हज़ारों लोगों ने आले खलीफा को निशाने पर लेते हुए इस राजैनतिक बंदी की रिहाई की मांग की जो बिना किसी अपराध के आले खलीफा की जेल में बंद हैं.

सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने अली सलमान के भाषणों की पुरानी वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि
सुधार और न्याय के संबंध में दिए गए उनके यह भाषण और उनकी मांगे ही उनका एकमात्र जुर्म है जिसके कारण उन्हें आले खलीफा तानाशाही ने बंदी बनाया हुआ है.

अल विफाक़ के उप प्रमुख ने शैख़ अली सलमान के खिलाफ आले खलीफा के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि अली सलमान की गिरफ्तारी और उन्हें सुनाई गई 29 साल की सजा ने देश और तथाकथित अदालत में फैले भ्रष्टाचार और अदालती सिस्टम की आज़ादी की कमी को उजागर किया करते हुए दिखा दिया है कि यह न्याय सिर्फ दिखावा और झूठा है. आज भी सत्ता आलोचकों के लिए जेल के दरवाज़े खुले हुए हैं.

देश के एक अन्य बड़े राजनैतिक दल के पूर्व प्रमुख राज़ी अल मूसवी ने लिखा कि शैख़ अली सलमान बहरैन की खातिर जेल में हैं वह उस बहरैन के लिए जेल में हैं जो वर्तमान बहरैन से बहुत अच्छा हो सकता है.

अल विफाक़ के ही एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अली सलमान एक इंटरनेशनल हस्ती हैं जो हमेशा एकता और इत्तेहाद की बात करते रहे हैं. उन पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं. हम अली सलमान समेत सभी राजनैतिक बंदियों की रिहाई की मांग करते हैं ताकि देश में सचमुच भाईचारा और मेल मोहब्बत हो सके.

बहरैन मानवाधिकार संगठन के प्रमुख बाकिर दरवेश ने भी अपने फेसबुक पेज पर अली सलमान की रिहाई की मांग करते हुए कहा कि बहरैन के लोगों को अली सलमान के ज्ञान, साहस, दृढ़ता, सहनशीलता और शख्सियत की जरूरत है.

बहरैन इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ एंड डेमोक्रेसी के निदेशक अहमद अल-वेदेई ने भी लिखा: “शेख अली सलमान की आजादी की मांग सिर्फ बहरैन के लोगों की नहीं है, बल्कि यह दुनियाभर के लोगों की मांग है, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और संयुक्त राष्ट्र कई बार उनकी आज़ादी की मांग पर जोर दे चुका है, हर वह पल जो वह जेल में गुज़ार रहे हैं उन्हें बंदी बनाने वालों के लिए शर्म और लज्जा को बढ़ाता जा रहा है.

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