जब तक बैतुल मुक़द्दस पर इस्राईल का क़ब्ज़ा है तब तक हर दिन क़ुद्स दिवस है: आयतुल्लाह ख़ामेनेई

जब तक बैतुल मुक़द्दस पर इस्राईल का क़ब्ज़ा है तब तक हर दिन क़ुद्स दिवस है: आयतुल्लाह ख़ामेनेई

ईरान के सुप्रीम लीडर ने क़ुद्स दिवस पर संबोधित करते हुए सबसे पहले पूरी दुनिया के मुसलमानों और फिलिस्तीन की बहादुर जनता को सलाम कहा!

सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने संबोधन में कहा कि एक बार फिर क़ुद्स दिवस आ गया। बैतुल मुक़द्दस, सभी मुसलमानों को बुला रहा है।

उन्होंने कहा कि जब तक बैतुल मुक़द्दस पर इस्राईल का क़ब्ज़ा है, साल के हर दिन को क़ुद्स दिवस समझना चाहिए। बैतुल मुक़द्दस, फ़िलिस्तीन का दिल है और (मेडीटेरियन) सागर से लेकर (जार्डन) नदी तक पूरा फ़िलिस्तीन बैतुल मुक़द्दस का ही हिस्सा है।

सुप्रीम लीडर ने फिलिस्तीन की जनता की प्रशंसा करते हुए कहा कि फ़िलिस्तीन की जनता ने हर दिन पहले से ज़्यादा स्पष्ट रूप से इस बात को साबित किया है कि वो बेमिसाल बहादुरी के साथ, इस्राईल के के ख़िलाफ़ खड़ी है और खड़ी रहेगी। फ़िलिस्तीनी नौजवान, अपनी क़ुरबानियों के ज़रिए, फ़िलिस्तीन की ढाल बन गये और यह एक अलग तरह के भविष्य का शुभ संकेत है।

उन्होंने ने इस्राईल के मौजूदा हालत पर बोलते हुए कहा कि इस्राईल सियासी और फ़ौजी दोनों मैदानों में, एक दूसरे से जुड़ी मुश्किलों के जाल में फंसी हाथ पैर मार रहा है।
हुकूमत संभालने वाला पिछला जल्लाद और ज़ालिम, सैफ़ुलक़ुद्स आप्रेशन के बाद कूड़ेदान में जा चुका है और उसकी जगह पर आने वाले ओहदेदार भी हर वक़्त किसी नए आप्रेशन की तलवार के डर में जी रहा हैं।

ख़ामेनेई ने कहा कि जेनीन में होने वाली कार्यवाहियों ने इस्राईल की हुकूमत को पागल कर दिया है। हालांकि 20 बरस पहले, नहारिया में कुछ इस्राईलयों के क़त्ल के जवाब में इस ग़ैर क़ानूनी हुकूमत ने जेनीन कैंप में 200 लोगों को मार डाला था ताकि हमेशा के लिए जेनीन का मसला हल हो जाए।

बता दें कि सन 1948 और सन 1967 में जिन इलाक़ों पर इस्राईल ने गैर क़ानूनी क़ब्ज़ा किया था वहां के लगभग 70 फ़ीसद फ़िलिस्तीनी और इसी तरह बाहर के कैंपों में रहने वाले फ़िलिस्तीनी अवाम लीडरों को इस्राईल के फौजियों पर हमले के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। जोकि बहुत अहम बात है क्योंकि इसका मतलब ये है कि फ़िलिस्तीनी, ग़ैर क़ानूनी हुकूमत का मुक़ाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और इससे फ़िलिस्तीनियों के जेहादी गुटों को ये आज़ादी मिलती है कि जब वह चाहें, कार्यवाही शुरु कर दें।

ग़ौर तलब है कि सन 1948 में ग़ैर क़ानूनी तौर पर क़ब्ज़ा किये गये इलाक़ों के उत्तरी और दक्षिणी दोनों हिस्सों में फ़िलिस्तीन के जेहादी आंदोलनों की तरफ़ से की जाने वाली कार्यवाहियों और उसके साथ ही जार्डन और ईस्ट बैतुल मुक़द्दस में रैलियों, फ़िलिस्तीनी नौजवानों की तरफ़ से मस्जिदुल अक़्सा की बहादुरी के साथ हिफ़ाज़त और ग़ज़्ज़ा पट्टी में फ़ौजी मश्क़ों से यह साबित हो गया कि पूरा फ़िलिस्तीन, इस्राईली फौजियों से संघर्ष का मैदान बन चुका है। अब फ़िलिस्तीन के लोग जेहाद जारी रखने पर एकमत रखते हैं।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने आख़िर में शहीद होने वालों को श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैं शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनियों को सलाम करता हूं, सब्र करने वाले उनके परिवारों को सलाम करता हूं और उन फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को सलाम करता हूं जो मज़बूत इरादे के साथ डटे हुए हैं। फ़िलिस्तीनी ग्रुपों का गर्मजोशी से स्वागत करता हूं जिनके कंधों पर इस ज़िम्मेदारी का बड़ा हिस्सा है और इस्लामी दुनिया ख़ास तौर पर नौजवानों को इज़्ज़त व वेक़ार के इस मैदान में उतरने की दावत देता हूं।

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