“हथियारों का एकाधिकार” अब वापसी का रास्ता नहीं रखता: लेबनान पीएम
लेबनान के प्रधानमंत्री नवाफ़ सलाम ने कहा है कि, देश में हथियारों को सीमित करने, सरकार की सत्ता बढ़ाने और जंग व अमन के फ़ैसले का अधिकार केवल राज्य तक सीमित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अब इसका कोई वापसी का रास्ता नहीं है। लेबनान के प्रधानमंत्री नवाफ़ सलाम का यह कहना कि “हथियार केवल राज्य के हाथ में होने चाहिए और यह प्रक्रिया अब अपरिवर्तनीय है” दरअसल अमेरिकी दबाव की स्वीकारोक्ति है। उनका रुख़ दिखाता है कि वॉशिंगटन के दूत और सीनेटरों की मौजूदगी में उन्होंने हिज़्बुल्लाह के हथियारों को निशाना बनाने वाली योजना पर हामी भरी है।
मंगलवार को अपने बयान में उन्होंने कहा कि हथियार केवल सरकार के हाथ में होने चाहिए और यह विषय अब अपरिवर्तनीय है। उनके अनुसार, यह प्रक्रिया इस बात का सबूत है कि इज़रायल की सेनाओं को पीछे हटना पड़ा और उसने लेबनान पर हमले रोक दिए। सलाम ने स्पष्ट किया कि लेबनानी सेना का इस साल के अंत से पहले हथियारों के एकाधिकार के लिए व्यापक योजना तैयार करना एक निर्णायक क़दम है। उन्होंने ज़ोर दिया कि लेबनान सरकार, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के दूत थॉमस बाराक द्वारा पेश किए गए दस्तावेज़ में संशोधन के बाद भी उस अमेरिकी योजना के लक्ष्यों के प्रति वचनबद्ध है।
प्रधानमंत्री ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से कहा कि, सेना की भूमिका निभाने और पूरे लेबनान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय व सैन्य सहायता का विस्तार ज़रूरी है।
यह बयान ऐसे समय आया जब मंगलवार को अमेरिकी दूत थॉमस बाराक की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल – जिसमें रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसी ग्राहम, उप-दूत मॉर्गन ऑर्टेगस और डेमोक्रेट सीनेटर जीन शाहीन भी शामिल थे – बेरूत पहुँचा और राष्ट्रपति जोसेफ़ औन से बैबदा पैलेस में मुलाक़ात की। इस दौरान उन्होंने हिज़्बुल्लाह के हथियारों को निशाना बनाते हुए चर्चा की और कहा कि दक्षिण लेबनान पर इज़रायली हमले तभी रुक सकते हैं जब हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र किया जाए।
बाराक ने दावा किया कि इज़रायल की सेना का लेबनान से पीछे हटना केवल तभी संभव है जब लेबनान “गंभीर” क़दम उठाए और हिज़्बुल्लाह को हथियार डालने पर मजबूर करे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में बेरूत को इस बारे में ठोस प्रस्ताव पेश करना होगा और तभी इज़रायल पीछे हटने और सीमा सुरक्षा पर फ़ैसला करेगा।अमेरिकी दूत ने यह भी कहा कि इज़रायल लेबनान पर क़ब्ज़ा नहीं चाहता और “लेबनान का हर क़दम, इज़रायल की तरफ़ से एक क़दम के साथ जवाब पायेगा।”
इन हस्तक्षेपकारी अमेरिकी बयानों के जवाब में, हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव शेख़ नईम क़ासिम ने सोमवार को कहा: “हम उस हथियार को कभी नहीं छोड़ेंगे जो हमें दुश्मन से सुरक्षित रखता है और न ही इज़रायल को अपने देश में खेल खेलने की इजाज़त देंगे।”
यह वास्तविकता है कि, लेबनान को आज जो सुरक्षा मिली है, वह न सरकारी योजनाओं से, न अमेरिकी पैसों से, बल्कि हिज़्बुल्लाह की उसी प्रतिरोधी शक्ति से मिली है जिसने इज़राइल को पीछे हटने और दक्षिण में ठहरने पर मजबूर किया। हिज़्बुल्लाह के हथियार सिर्फ़ “एक दल” की संपत्ति नहीं, बल्कि लेबनानी जनता की ढाल और इज़रायली आक्रमण के खिलाफ़ उनकी इज़्ज़त का सहारा हैं। नवाफ़ सलाम जिस “अमेरिकी दस्तावेज़” की वचनबद्धता जता रहे हैं, वह लेबनान को निहत्था कर इज़रायल के सामने कमजोर बनाने की साज़िश है। इसके उलट, शेख़ नईम क़ासिम का साफ़ संदेश है कि हिज़्बुल्लाह अपने हथियारों से पीछे नहीं हटेगा और देश की रक्षा करता रहेगा। यही असली राष्ट्रीय संप्रभुता है, न कि विदेशी दबावों के आगे झुकना।


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