ग़ाज़ा में इज़रायली अत्याचार का अमेरिका सबसे बड़ा भागीदार: हसन नसरुल्लाह
हिजबुल्लाह प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार को बैरूत में एक ऐतिहासिक जनसभा को संबोधित किया। उनके इस संबोधन को सुनने के लिए भारी संख्या में लोग जमा हुए। उन्होंने अपने संबोधन की शुरूआत, 7 अक्टूबर को शुरू हुए इज़रायल -हमास युद्ध से की और और इस पर अपनी पहली टिप्पणी व्यक्त की।
हाल के सप्ताहों में हिज़्बुल्लाह और इज़रायल के बीच उनकी सीमा पर लड़ाई बढ़ गई है। लेबनानी सशस्त्र समूह का दावा है कि उसने 57 लड़ाकों को खो दिया है, जबकि इज़रायल का कहना है कि गोलीबारी और मिसाइलों के अटैक में कम से कम उसके छह सैनिक मारे गए हैं।
हसन नसरुल्लाह ने अपने भाषण की शुरूआत, इज़रायल से लड़ने वाले हमास के मुजाहिदों की प्रशंसाऔर इज़रायली अत्याचार और बमबारी द्वारा शहीद हुए लोगों के परिवार को संवेदना व्यक्त करते हुए की। इसके बाद उन्होंने “जंग में साथ देने वाले मजबूत और बहादुर इराकी और यमनी लोगों का भी धन्यवाद किया जो अब इस पवित्र युद्ध में शामिल हैं।
उन्होंने 7 अक्टूबर को दक्षिणी इज़रायल पर हमास के हमले का वर्णन किया, जिसमें 1,400 से अधिक लोग मारे गए थे, जिस घटना ने वाशिंगटन और लंदन में बैठे शासकों को भी अपनी रणनीति से हैरत में डाल दिया दिया।
कई लोगों को उम्मीद थी कि हसन नसरुल्लाह हिज़्बुल्लाह समूह के अगले कदमों की घोषणा करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से परहेज किया, इसके बजाय इजरायली हमलों की निंदा की। ग़ौर किया जाए तो हसन नसरुल्लाह का यह भाषण एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा था।
उन्होंने अपने भाषण में हिज़्बुल्लाह की रणनीति को गुप्त रखते हुए पूरी दुनियां को इज़रायल के अत्याचार के बारे विस्तार से बताया। उन्होंने हमास के हमले का कारण भी बता दिया कि फ़िलिस्तीनियों के पास दो ही रास्ते बचे हैं , या तो वह घुट घुट कर मर जाएं या फिर फ़िलिस्तीन की आज़ादी के लिए इज़रायल का डट कर मुक़ाबला करें।
इसके साथ ही उन्होंने इस्लामिक देशों को भी बेनक़ाब कर दिया जो ज़ाहिर में फ़िलिस्तीन के हक़ की बात करते हैं लेकिन अंदर से इज़रायल और अमेरिका से मिले हुए हैं, और फिलिस्तीन में इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीनियों के खुल्लम खुल्ला नरसंहार पर मौन धारण किए हुए हैं।
हसन नसरुल्लाह ने इज़रायली अत्याचार का ज़िम्मेदार अमेरिका को बताया। उन्होंने कहा कि इज़रायल के अत्याचार का अमेरिका खुल कर समर्थन करता हैं और यूएन में इज़रायल के ख़िलाफ़ पारित होने वाले हर प्रस्ताव को वीटो द्वारा रोक देता है। इस हमले और नरसंहार का ज़िम्मेदार भी केवल अमेरिका है।
उनके इस भाषण की मुख्य बात यह थी कि उन्होंने उन सबका आभार प्रकट किया जो इज़रायल के अत्याचार पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, चाहे वह अमेरिकन हो या लंदन के रहने वाले। ऑस्ट्रेलियाई हों या फ्रांसीसी। अरब हों या यूरोपियन।