ईरान का मुक़ाबला करने के लिए अमेरिका के पास कोई विकल्प नहीं

ईरान का मुक़ाबला करने के लिए अमेरिका के पास कोई विकल्प नहीं

ईरान और अमेरिका के बीच 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ही 36 का आंकड़ा रहा है. अमेरिका से तनातनी के बीच ईरान लगातार तरक़्क़ी के नए आयाम छू रहा है.

दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के दौरान सीएनएन ने ईरान के खिलाफ अमेरिका की विफलता का उल्लेख करते हुए कहा है कि ईरान के खिलाफ अब बाइडन प्रशासन के पास कोई विकल्प नहीं रह गया है.

सीएनएन ने कहा कि ईरान के एटमी साइंटिस्टों की हत्या और इस देश के खिलाफ कठोर प्रतिबंधों के बाद भी अमेरिका को कुछ हासिल नहीं हुआ है. अमेरिकी प्रतिबंधों ने अपना महत्त्व खो दिया है.

सीएनएन ने दावा करते हुए कहा कि ईरान परमाणु बम बनाने के निकट पहुचं चुका है. वह अन्य किसी भी समय की तुलना में अब अपने परमाणु कार्यक्रम को बेहद विकसित कर चुका है, और अमेरिकी प्रशासन के पास तेहरान का सामना करने का कोई विकल्प भी मौजूद नहीं है.

बता दें कि ईरान बार बार कह चुका है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए है और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी भी अपनी रिपोर्ट में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के शांतिपूर्ण होने पर कई बार ज़ोर दे चुकी है. इस के बावजूद सीएनएन ने परमाणु समझौते से अमेरिका के एकपक्षीय रूप से निकलने का कोई उल्लेख किये बिना कहा कि तेहरान के पास परमाणु बम बनाने के लिए ज़रूरी तमाम सामग्री पहले से ही मौजूद है.

परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए होने वाली विएना वार्ता के रुक जाने को खतरनाक बताते हुए सीएनएन ने कहा कि हालाँकि ईरान और अमेरिका परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के कई तकनीकी मुद्दों को हल कर चुके है लेकिन कुछ प्रतीकात्मक मुद्दों पर मतभेद अभी भी बने हुए हैं और ईरान ने अमेरिका पर दबाव बढ़ा कर अपना रुख साफ़ कर दिया है.

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